87 साल पुरानी अवध शुगर मिल किसानों को दे रही है अच्छी खासी आमदनी

सीतापुर, 24 अगस्त: उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक जिलों में हर जिले में कोई न कोई पुरानी चीनी मिल है जो अतीत के पन्नों में अपना इतिहास समेटे है। इनमें से एक चीनी मिल है अवध शुगर एन्ड एनर्जी लि. जिसकी खोज खबर ली हमारी टीम ने।

ये चीनी मिल सीतापुर जिले के हरगाँव में स्थित है। इस मिल की स्थापना 1932 में हुई थी। सन 1976 में अवध शुगर मिल ने शाहजांपुर की केरु एंड कंपनी रोज़ा शुगर वर्क्स को ख़रीदा। फ़िर 1948 में न्यू स्वदेशी शुगर मिल। बाद में इलाहाबाद केनिंग कंपनी को ख़रीदकर उसे अवध शुगर मिल में मिलाया गया । अपने समय की मशहूर चीनी मिल के तौर पर प्रसिद्द दी अवध शुगर मिल्स लिमिटेड बिरला ग्रुप की कम्पनी है। जो नीजि क्षेत्र की कि देश की जानी मानी कम्पनी के तौर पर पहचान रखती है।

इस चीनी मिल की रोज की पेराई क्षमता 10 हजार टन है। इसके अलावा यह मिल समूह 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी करती है ।ये चीनी मिल अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उपयोग के बाद बची हुई बिजली सूबे की सरकार को बेचती है। इसके अलावा चीनी मिल में गन्ने के अवेशष से जैविक खाद बनाकर उसकी भी बिक्री की जाती है, जिससे किसानों को अच्छी खासी आमदनी होती है।

अभी बिरला समूह की चार चीनी मिलें हैं जो सीतापुर जिले के हरगावं, शाहजहाँपुर जिले के रोजा, कुशीनगर जिले के हाटा और बिहार के नरकटियागंज में बनी हुई हैं। इन चीनी मिलों की रोज की गन्ना पेराई क्षमता 28700 टन की है। देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाली ये चीनी मिलें न केवल किसानों का गन्ना पैराई कर चीनी उत्पादन का काम कर रही है बल्कि बिजली उत्पादन करने और जैविक खाद बनाने के अलावा चीनी निर्यात कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कराने का काम भी कर रही है।

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