कोल्हापुर: महाराष्ट्र की कुल 214 चीनी मिलों ने 1 नवंबर से गन्ना पेराई शुरू करने की अनुमति के लिए पुणे स्थित चीनी आयुक्त कार्यालय में आवेदन किया है। 1 नवंबर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित 2025-26 पेराई सत्र की आधिकारिक शुरुआत तिथि है। कुल आवेदनों में से 107 आवेदन सहकारी और 107 आवेदन निजी मिलों से हैं। अधिकारियों ने बताया कि, इन आवेदनों पर कार्रवाई प्रति टन उत्पादित चीनी पर अनिवार्य कटौती के भुगतान पर निर्भर है। इस सीजन में, राज्य सरकार ने दो नई अनिवार्य कटौती शुरू की हैं – बाढ़ और भारी बारिश से प्रभावित किसानों के लिए 5 रुपये प्रति टन, और मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए अतिरिक्त 5 रुपये प्रति टन। इससे कुल कटौती 27.50 रुपये प्रति टन हो जाती है, जिसमें मंजरी स्थित वसंतदादा चीनी संस्थान को दिया जाने वाला योगदान भी शामिल है।
चीनी आयुक्त संजय कोलते ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया कि, सभी आवेदनों पर अंततः कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि, मिलों ने अपना बकाया चुका दिया है और 2024-25 सीज़न के लिए किसानों को उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा, चीनी उत्पादन 105 लाख टन तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें से 20 लाख टन एथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है। हालाँकि, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में जारी बारिश कटाई के लिए चुनौतियां पैदा कर रही है, जिससे शारीरिक श्रम और मशीनी संचालन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
चीनी उद्योग विशेषज्ञ विजय औताडे ने अनुमान लगाया है कि, इस सीजन में पेराई के लिए 1,150 लाख टन गन्ना उपलब्ध है। उन्होंने कहा, लेकिन बारिश से फसल को हुए नुकसान के कारण उत्पादन में गिरावट आ सकती है। दुनिया भर में, खासकर ब्राजील से, पर्याप्त चीनी आपूर्ति के साथ, मिलें निर्यात प्रतिबंध हटाने पर जोर दे सकती हैं। इसके अतिरिक्त, बदलती परिस्थितियों के आधार पर एथेनॉल उत्पादन कोटा में संशोधन किया जा सकता है। औताडे ने इस बात पर ज़ोर दिया कि, किसानों के विरोध प्रदर्शन से पेराई कार्यों में और देरी हो सकती है। उन्होंने कहा, मिलों को मूल्य निर्धारण विवादों को सुलझाने के लिए यूनियन नेताओं के साथ बातचीत करनी होगी, जो वर्तमान में मिलों की क्षमता से अधिक है।












