छत्रपति संभाजीनगर: मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ ज़िलों में जून में अब तक औसतन केवल 14 मिमी वर्षा हुई है।पूरे मराठवाड़ा में 85% बारिश की कमी हुई है।बारिश की कमी का असर खरीफ सीजन की फसलों पर पड़ रहा है, 20 जून तक मराठवाड़ा में 0% बुआई हुई है।
मराठवाड़ा के आठ जिलों में, उस्मानाबाद में जून में केवल 5 मिमी वर्षा दर्ज की गई और सबसे अधिक 94% वर्षा की कमी देखी गई। जालना (8 मिमी) में 91% की कमी देखी गई है, इसके बाद नांदेड़ में 11 मिमी वर्षा (90% की कमी), हिंगोली में 15 मिमी वर्षा (88% की कमी), बीड में 12 मिमी वर्षा (86% की कमी), लातूर में 16 मिमी वर्षा (83% की कमी) है।परभणी में 19 मिमी वर्षा (82% की कमी) और औरंगाबाद में 21 मिमी वर्षा (76% की कमी) है।
मराठवाड़ा में लातूर कृषि प्रभाग में 29.35 लाख हेक्टेयर में ख़रीफ़ खेती होती है, जबकि औरंगाबाद प्रभाग में 21.87 लाख हेक्टेयर है।किसान अधिकार कार्यकर्ता जयाजी सूर्यवंशी ने कहा कि, खरीफ की बुआई में देरी से फसलों के विकास चक्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, मराठवाड़ा में कपास और गन्ना, दो नकदी फसलें पसंदीदा खरीफ फसलों में से हैं। लातूर डिवीजन में तिलहन खेती का क्षेत्र है। मानसून के देरी से आने से क्षेत्र में कृषि उत्पादन प्रभावित होने की सबसे अधिक संभावना है।
शहर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम एस्ट्रोस्पेस साइंस सेंटर एंड क्लब के निदेशक श्रीनिवास औंधकर ने कहा कि, मानसून की रुकी हुई प्रगति अगले दो से तीन दिनों के भीतर गति पकड़ सकती है। उन्होंने कहा, चक्रवात बिपरजॉय ने मानसून की प्रगति को प्रभावित किया था। हालांकि, अब मानसून की प्रगति और वर्षा गतिविधि के लिए अनुकूल दिख रही हैं।
भारत मौसम विज्ञान (आईएमडी) द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार, मराठवाड़ा के औरंगाबाद, जालना, परभणी, बीड और हिंगोली जिलों में गुरुवार को हल्की बारिश या गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है, जबकि नांदेड़, लातूर और उस्मानाबाद में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।