मुंबई : महाराष्ट्र में पेराई सीजन अंतिम चरण में पहुंच चूका है, लेकिन अब भी राज्य में भारी मात्रा में गन्ना फसल खेतों में खड़ी है। जैसे -जैसे सीजन समाप्ति के करीब आ रहा है, महाराष्ट्र में मिलों और किसानों के लिए गन्ने की भरमार एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है। पिछले चीनी सीजन में, 24 फरवरी तक राज्य में केवल 189 चीनी मिलें चालू थीं। इन चीनी मिलों ने 80.471 मिलियन टन गन्ने की पेराई की थी। इस सीजन में, अभी भी 197 चीनी मिलें चालू हैं और उन्होंने 91.607 मिलियन टन गन्ने की पेराई की है और अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है।
द हिन्दू बिजनेसलाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अभी भी करीब 30 लाख टन गन्ना खेतों में है। राज्य में पिछले सीजन की मिलों ने 24 फरवरी तक 8.237 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया था, जबकि इस सीजन में चीनी का उत्पादन पहले ही 9.38 मिलियन टन को पार कर चुका है। मिलों ने अपनी दैनिक पेराई क्षमता में वृद्धि की है और कई मिल निदेशकों का कहना है कि अब उनके लिए निश्चित अवधि से अधिक परिचालन संभव नहीं होगा। चीनी मिल से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, सरकार को जमीनी हकीकत को समझना चाहिए। पेराई संचालन जारी रखने के लिए मिलों की सीमाएं हैं। उपलब्ध तंत्र केवल एक निश्चित सीमा तक पेराई करने में सक्षम है।
चीनी मिलर्स के अनुसार, कई मिलें पहले ही अपनी पेराई क्षमता को पार कर चुकी हैं और किसी तरह सीजन को खींच रही हैं। लेकिन यह लंबे समय तक जारी नहीं रह सकता है और मिलों को बंद की घोषणा करनी होगी। अगले महीने के अंत तक राज्य की कुछ बड़ी चीनी मिलें ही शुरू रहेंगी।
चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने पहले ही उन मिलों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है जो आवंटित इलाके में सभी उपलब्ध गन्ना पेराई करने में विफल रहती हैं। राज्य सरकार ने मिलों को सीजन बंद करने की घोषणा करने से पहले अनुमति लेने को कहा है।