नैरोबी : राज्य के स्वामित्व वाली चीनी मिलें कर्ज में डूबी है, इससे इस क्षेत्र में विकास को रोक दिया है। भारी कर्ज ने मिलों के निजीकरण के कई प्रयासों को विफल किया है। मिलों में पुराने उपकरणों को चलाने और बेहतर कृषि तकनीकों को अपनाने में विफलता जैसी अन्य चुनौतियां उद्योग को प्रभावित कर रहे है।
मुमियास, साउथ न्यानज़ा (सोनी), केमिलिल, मिवानी, मुहोरोनी और नज़ोइया चीनी मिल पर वर्तमान में राष्ट्रीय खजाने का न केवल ऋण के रूप में Sh117 बिलियन बकाया है, बल्कि उनके ऋणों का भुगतान करने में विफलता के चलते करों के साथ-साथ दंड और करोड़ों का जुर्माना बकाया भी शामिल है। चीनी मिलों के ऋणों को माफ़ करने की योजनाए कभी भी सफल नही हुई।
राष्ट्रपति विलियम रुटो ने कहा कि, सरकार पांच मिल मालिकों का बकाया कर्ज माफ कर देगी। उन्होंने कहा कि पांच मिल मालिकों पर सरकार का Sh117 बिलियन सालों से बकाया है। रुटो ने कहा, कैबिनेट ने कर्ज माफ करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, मामला अब संसद के समक्ष है। हमें चीनी उद्योग के मुद्दे को सुलझाना होगा क्योंकि इससे केन्या के अधिकांश लोग प्रभावित होते है।
कृषि मंत्रालय ने इस साल मई में एक रिपोर्ट में कहा था कि, सार्वजनिक स्वामित्व वाली मिलों का भारी कर्जा केन्या में चीनी उद्योग के विकास में सबसे कमजोर कारकों में से एक है। चीनी उद्योग हितधारक टास्क फोर्स की 2019 की रिपोर्ट, जिसकी सह-अध्यक्षता पूर्व कृषि सीएस मवांगी किंजुरु और पूर्व काकमेगा गवर्नर विक्लिफ ओपरान्या ने की थी, उसमें कहा गया था कि, कर जुर्माना और दंड को छोड़कर, चीनी मिलों पर सरकार का Sh90.4 बिलियन बकाया है।समय के साथ मिल मालिकों को निजीकरण के लिए तैयार किया गया, लेकिन यह कभी आगे नहीं बढ़ पाया।