नई दिल्ली: अमेरिका के एक कृषि व्यवसाय व्यापार मिशन ने प्रस्ताव दिया है कि, भारत 2025 तक अपने एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए एथेनॉल और फीडस्टॉक के लिए मक्का का आयात करे, क्योंकि भारत ने हरित ईंधन के उत्पादन के लिए चीनी के उपयोग को सीमित कर दिया है।
इकनोमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नई दिल्ली में कृषि व्यवसाय व्यापार मिशन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के अवर सचिव एलेक्सिस टेलर ने कहा, हम मानते हैं कि एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने में भारत की प्रगति का समर्थन करने का एक बड़ा अवसर है। उन्होंने कृषि, विदेश और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयों के अधिकारियों से मुलाकात की है। भारत का 2025 तक 20% एथेनॉल सम्मिश्रण हासिल करने का लक्ष्य है।
हालाँकि, गन्ने के कम उत्पादन के कारण, सरकार ने दिसंबर में एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेस के उपयोग को सिमित कर दिया था।बाद में सरकार ने 2023-24 आपूर्ति वर्ष के लिए एथेनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी के डायवर्जन पर सिमित कर दी। सरकार ने हाल ही में चीनी मिलों को चालू आपूर्ति वर्ष में एथेनॉल बनाने के लिए फीडस्टॉक के रूप में 6.7 लाख टन बी-हैवी मोलासेस का उपयोग करने की अनुमति दी है।
अमेरिका एथेनॉल के सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्ताओं में से एक है। टेलर ने सुझाव दिया कि स्टॉक फ़ीड के लिए एथेनॉल और मकई का आयात भारत को एथेनॉल उत्पादन के लिए निवेश जुटाने में मदद कर सकता है। भारत एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चीनी के विकल्प के रूप में मक्के के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है।