नई दिल्ली : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने मीडिया में आई उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि एक्सचेंज ने अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उसने कहा कि, पिछले 30 महीनों में इस मामले पर भारत सरकार से उसका कोई पत्राचार नहीं हुआ है। एनएसई ने रॉयटर्स की उस का खंडन किया, जिसमें कहा था की, एनएसई ने एनएसई आईपीओ से संबंधित सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। एनएसई ने इस कहानी का खंडन करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा की, एनएसई ने अपने आईपीओ से संबंधित पिछले 30 महीनों में भारत सरकार से कोई पत्राचार नहीं किया है।
एनएसई के लंबे समय से प्रतीक्षित आईपीओ की भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा समीक्षा की जा रही है, और दोनों पक्ष चिह्नित मुद्दों को हल करने के लिए काम कर रहे हैं। बाजार नियामक सेबी ने प्रमुख मुद्दों को चिन्हित किया है, जिसमें प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों को दिया जाने वाला उच्च पारिश्रमिक, प्रौद्योगिकी और समाशोधन निगम में स्वामित्व शामिल है। 2016 के अंत में, एनएसई ने बाजार नियामक सेबी के साथ अपने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल किया, जिसके बाद कथित तौर पर 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना थी।लेकिन बाजार नियामक द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों और एनएसई के पूर्व अधिकारियों के खिलाफ लंबित सह-स्थान मामले के कारण योजनाएँ आगे नहीं बढ़ पाईं।बीएसई, जो एनएसई का एक प्रतियोगी है, 2017 में सूचीबद्ध हुआ और भारत का पहला सूचीबद्ध स्टॉक एक्सचेंज बन गया। (एएनआई)