अप्रैल से अक्टूबर तक गन्ने पर पायरिला कीट का सबसे ज्यादा प्रकोप, फसल बचाने के लिए करें ‘यह’ उपाय…

कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) : जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. मेनका सिंह ने किसानों को पायरिला कीट से गन्ने को बचाने के उपायों की जानकारी दी है। हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, डॉ. सिंह ने कहा, अप्रैल से अक्टूबर तक गन्ने के चूसक कीट पायरिला (लीफ हापर) का प्रकोप रहता है। यह एक प्रकार का पंख वाला कीट है। इसके अंडे हल्के पीले रंग के होते हैं जो गन्ने की पत्ती की निचली सतह पर लगभग 20 अंडे के समूह में पाए जाते हैं। प्रारम्भ में हल्के हरे एवं वयस्क बाद में हल्के भूरे रंग के 7 से 8 मिमी लम्बे हो जाते हैं। इस कीट के निम्फ एवं वयस्क पत्ती की निचली सतह से रस चूसकर हनीड्यू का निष्कासन करते हैं, जिससे पत्तियों पर फफूंद का प्रकोप हो जाने से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बहुत कम हो जाती है। प्रभावित गन्ने की गुणवत्ता कम एवं शर्करा की मात्रा लगभग 35 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

पायरिला कीट से फसल को बचने के लिए क्या करें…

इससे बचने के लिए किसान रोपण से पहले गन्ने के बीज को क्लोरपायरीफास 20 प्रति ईसी का 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर उपचारित करें। कीटों की निगरानी एवं उनके संख्या के आकलन हेतु 1 लाइट ट्रैप प्रति 5 एकड़ की दर से लगाएं। पायरिला के तेजी से गुणन एवं प्रसार को रोकने के लिए नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का विवेकपूर्ण प्रयोग करना चाहिए। मेटारिजियम एनिसोप्लिया 107 स्पोर प्रति मिली की दर से पर्णीय छिड़काव करना चाहिए। परजीवी एपिरिक्रेनिया मेलानो ल्यूका को 8 से 10 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ने के खेत में छोड़ें। 3 से 5 कीट प्रति पत्ती या एक अंडा दिखाई देने पर क्लोरपायरीफास 20 प्रति ईसी 600 मिली मात्रा को 300 से 350 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। अथवा क्यूनालफास 25 प्रति ईसी की 480 मिली मात्रा को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के दर से छिड़काव करें।

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