CBSE का स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ स्थापित करने का फैसला

कोटा (राजस्थान) : बच्चों में तेजी से बढ़ रही डायबिटीज की रोकथाम और स्वास्थ्यपूर्ण भोजन का सन्देश देने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी संबद्ध स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ बनाने की गाइडलाइन जारी की है। में ‘शुगर बोर्ड’ के माध्यम से बच्चों को पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स और अन्य प्रोसेस्ड फूड से होने वाले नुकसान की जानकारी दी जाएगी।साथ ही स्कूलों में शुगर बोर्ड के माध्यम से सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित की जाएगी, जिनमें विशेषज्ञ बच्चों को चीनी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगे।

ETV भारत से बोलते हुए एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने कहा कि, सीबीएसई ने सभी स्कूल प्रिंसिपल को बच्चों के चीनी के सेवन की निगरानी और उसे कम करने के लिए स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ की स्थापना करने के लिए कहा है। सीबीएसई के अनुसार, राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार (NCPCR) बीते एक दशक में बच्चों में टाइप – 2 डायबिटीज की बढ़ोतरी हुई है. यह टाइप 2 डायबिटीज पहले वयस्क व्यक्तियों में देखी जाती थी, लेकिन बच्चों में भी इसका बढ़ना खतरे की घंटी माना गया है। खासकर, चीनी का सेवन अत्यधिक इसके लिए जिम्मेदार है।

सीबीएसई ने नोटिफिकेशन में बताया है कि, स्कूलों में शुगर बोर्ड स्थापित करने के बाद बच्चों को चीनी के ज्यादा सेवन से नुकसान के बारे में भी जानकारी दें। इसके लिए स्कूल में कुछ जगह पर चीनी से हो रहे नुकसान के संबंध में जानकारी लिखकर प्रदर्शित की जाए।इसमें रोजाना चीनी का सेवन, आम तौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स) में चीनी की मात्रा, उच्च चीनी खपत से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार विकल्प बताने के लिए कहा हैं।नोटिफिकेशन में यह बताया है कि, अध्ययनों से पता चलता है कि चीनी 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन का 13 फीसदी और 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 15 फीसदी है, जबकि इसका उपयोग केवल पांच फीसदी किया जाना चाहिए।

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