गोवा सरकार द्वारा गन्ना किसानों को दी जाने वाली ‘विशेष सहायता सह मुआवजा योजना’ बंद करने की घोषणा

पणजी : गोवा सरकार ने जून 2021 से गन्ना किसानों को दी जाने वाली ‘विशेष सहायता सह मुआवजा योजना’ को बंद करने की घोषणा की है। सरकार ने अब किसानों द्वारा उत्पादित गन्ने को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर खरीदने की अधिसूचना जारी की है। कृषि निदेशक संदीप फलदेसाई ने जारी अधिसूचना में कहा कि, 17 जून, 2021 से किसानों के लिए शुरू की गई ‘गन्ना उत्पादकों के लिए विशेष सहायता’ योजना को वापस लिया जाता है। यह निर्णय सरकार की मंजूरी से लिया गया है।

पांच वर्षीय योजना के तहत सरकार ने अब तक करीब 700 किसानों को 40 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। गोवा के अखबार ने 12 फरवरी के अपने संस्करण में इस योजना को बंद करने और एफआरपी पर आधारित नई योजना लाने की सरकार की योजना के बारे में जानकारी दी। हालांकि, फलदेसाई ने कहा कि राज्य में गन्ना उत्पादकों को गन्ना की खेती करने में सहायता करने के लिए सरकार ने एक नई योजना शुरू की है।यह योजना दो साल की अवधि – 2026-27 के लिए लागू होगी।इस योजना के तहत, किसानों/खेती करने वालों द्वारा उगाए गए गन्ने को संजीवनी शुगर फैक्ट्री में आपूर्ति की जाएगी, और वहां तौला जाएगा और समय-समय पर नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (नई दिल्ली) द्वारा निर्धारित एफआरपी के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान/भुगतान किया जाएगा।

किसानों को चीनी मिल में पंजीकरण कराना होगा, लेकिन उन्हें फैक्ट्री के तौल कांटे पर तौले गए गन्ने के वास्तविक टन के आधार पर भुगतान किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि, वह गन्ने की कटाई या आपूर्ति या परिवहन के लिए जिम्मेदार नहीं होगी और किसानों को यह सब अपने खर्च पर करना होगा। सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसी द्वारा गन्ना खरीदा जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, योजना के कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाली शिकायतों की सुनवाई और निर्णय कृषि मंत्री द्वारा किया जाएगा और इस संबंध में कृषि मंत्री का निर्णय अंतिम और सभी संबंधितों के लिए बाध्यकारी होगा।

2019 में धरबंदोरा स्थित संजीवनी शुगर फैक्ट्री के बंद होने के एवज में, सरकार ने 2021 में राज्य में “गन्ना उत्पादकों के लिए विशेष सहायता” योजना को पांच साल की अवधि के लिए अधिसूचित किया। आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 से 2023-24 तक, सरकार ने करीब 700 किसानों को लगभग 40 करोड़ का भुगतान किया है, जबकि इस वर्ष का मुआवजा विचाराधीन है। प्रशासक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पहले वर्ष- 2020-21 में कुल 731 किसानों को 3,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से 11.83 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। वर्ष 2021-22 के लिए दर संशोधित कर 2,800 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दी गई, जिसके अनुसार 690 किसानों को 10.28 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2022-23 में कुल 665 किसानों को 2,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से 8.86 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया, जबकि पिछले वर्ष सरकार ने 682 किसानों को 8.32 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। सरकार द्वारा निर्धारित दर 2,400 रुपये प्रति मीट्रिक टन थी।

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