स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’: PM मोदी ने कहा, स्वास्थ्य है, तो सब कुछ है..!

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सीबीएसई द्वारा देशभर के स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने के लिए हाल ही में जारी किए गए आदेश की सराहना की, ताकि छात्रों को अधिक चीनी के सेवन के खतरों के बारे में शिक्षित किया जा सके।देश के नाम अपने मासिक ‘मन की बात’ संबोधन के 122वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कहा, आपने स्कूलों में ब्लैकबोर्ड देखे होंगे, लेकिन अब कुछ स्कूलों में शुगर बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं – ब्लैकबोर्ड नहीं, बल्कि शुगर बोर्ड। ”केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की इस पहल का उद्देश्य बच्चों को उनके चीनी सेवन के बारे में जागरूक करना और उन्हें स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करना है।

पीएम मोदी ने कहा, कितनी चीनी खानी चाहिए और कितनी चीनी नही खानी चाहिए, यह समझकर बच्चे खुद ही स्वस्थ विकल्प चुनने लगे हैं। पीएम ने आगे कहा कि, यह पहल बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली की आदतें डालने में मददगार होगी और फिट इंडिया के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, यह एक अनूठा प्रयास है और इसका प्रभाव भी बहुत सकारात्मक होगा। यह बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली की आदतें डालने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, कई अभिभावकों ने इसकी सराहना की है और मेरा मानना है कि इस तरह की पहल कार्यालयों, कैंटीनों और संस्थानों में भी की जानी चाहिए। आखिरकार, अगर स्वास्थ्य है, तो सब कुछ है। फिट इंडिया एक मजबूत भारत की नींव है।

सीबीएसई द्वारा शुगर बोर्ड शुरू करने की पहल स्कूली छात्रों में चीनी के अधिक सेवन के कारण टाइप 2 मधुमेह की बढ़ती चिंताओं के बीच की गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिशों के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सभी संबद्ध स्कूलों को 15 जुलाई, 2025 तक ‘शुगर बोर्ड’ लगाने का निर्देश दिया है। स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ का उद्देश्य यह दर्शाना है कि आमतौर पर खाए जाने वाले स्नैक्स और पेय पदार्थों में कितनी चीनी मौजूद है, इसकी तुलना अनुशंसित दैनिक सेवन से की जाती है। ‘शुगर बोर्ड’ में प्रतिदिन अनुशंसित चीनी सेवन, सामान्य जंक फूड और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा, अधिक चीनी के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिम आदि के बारे में जानकारी प्रदर्शित की जाएगी तथा स्वस्थ भोजन के विकल्प भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

सीबीएसई परिपत्र में कहा गया है, पिछले एक दशक में, बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण स्कूल के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता है।बोर्ड के अंतर्गत आने वाले स्कूलों को छात्रों के लिए स्वस्थ आहार विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता सेमिनार या कार्यशालाएं आयोजित करने का भी निर्देश दिया गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा निर्देशित इस प्रयास का उद्देश्य सूचित भोजन विकल्पों और दीर्घकालिक कल्याण को बढ़ावा देना है।

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