शिमला : राज्य सरकार ने बताया कि, हिमाचल प्रदेश में करीब 2,23,000 किसानों और बागवानों ने लगभग सभी पंचायतों में आंशिक या पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती को अपनाया है। सरकार किसानों के लिए अतिरिक्त आय सृजन के विकल्प तलाशने, उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने, गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करने के अलावा फसल बीमा प्रदान करने और कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
अपनी तरह के पहले फैसले में सरकार ने इस पद्धति से उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करके प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया है। पिछले साल मक्का के लिए 30 रुपये प्रति किलोग्राम का MSP तय किया गया था। इस फैसले से किसानों के चेहरे पर खुशी आई और उन्हें बड़े पैमाने पर रसायन मुक्त खेती अपनाने की ओर प्रेरित किया। सरकार ने 2025-26 में मक्का के लिए MSP को 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया। अब तक सरकार ने 1,509 किसानों से करीब 400 मीट्रिक टन मक्का एमएसपी पर खरीदा है।
इसी तरह राज्य में गेहूं की खरीद प्रक्रिया जारी है और इसे 60 रुपये प्रति किलो एमएसपी पर खरीदा जा रहा है। प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों की प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार ने कच्ची हल्दी पर 90 रुपये एमएसपी की घोषणा की है। इस वित्तीय वर्ष से सरकार ने कच्ची हल्दी के लिए एमएसपी देने का फैसला किया है, जिसे ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड नाम से प्रसंस्कृत और विपणन किया जाएगा। सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
प्राकृतिक खेती से उपज की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए 10 मंडियों में आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ निर्दिष्ट स्थान विकसित किए जा रहे हैं। प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना के तहत 2023-24 और 2024-25 में 27.60 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और चालू वित्त वर्ष के लिए 7.28 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। योजना के तहत बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष टास्क फोर्स द्वारा कार्यान्वयन और निगरानी की जा रही है।