नई दिल्ली : सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, कानूनी पेशेवरों और उपभोक्ता अधिकार अधिवक्ताओं के एक समूह ने केंद्र सरकार से वसा, चीनी और नमक (HFSS) से भरपूर खाद्य और पेय उत्पादों पर अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक चेतावनी लेबल अपनाने का आह्वान किया। फ्रंट-ऑफ-पैक पोषण लेबलिंग (FOPNL) विषय पर आयोजित एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह मांग की गई। न्यूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (NAPi) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 25 से अधिक स्वास्थ्य और नागरिक समाज संगठन एक साथ आए। सम्मेलन का संदर्भ अप्रैल 2025 में भ्रामक खाद्य पैकेजिंग और अपर्याप्त लेबलिंग प्रथाओं से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी थी।
न्यायालय ने पाया कि, व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले कई पैकेज्ड खाद्य उत्पादों में उनके स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में स्पष्ट फ्रंट-ऑफ-पैक जानकारी का अभाव है। इसने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को FOPNL पर अपने लंबित 2022 मसौदा विनियमन को तीन महीने की समय-सीमा के भीतर संशोधित करने और अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।
सम्मेलन में प्रस्तुत स्थिति वक्तव्य में सूचित उपभोक्ता विकल्पों को सक्षम करने और भारत में गैर-संचारी रोगों (NCD) की बढ़ती लहर को रोकने के लिए HFSS उत्पादों पर व्याख्यात्मक चेतावनी लेबल के तत्काल कार्यान्वयन का आह्वान किया गया। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष के. श्रीनाथ रेड्डी ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (UPF) के खतरों पर प्रकाश डाला, उनके स्वास्थ्य दावों की तुलना प्रदूषित हवा में सांस लेने के विरोधाभास से की। उन्होंने कहा, यह कहना कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ पोषक तत्व देते हैं, यह कहने जैसा है कि प्रदूषित हवा भी ऑक्सीजन देती है। NAPi के राष्ट्रीय संयोजक अरुण गुप्ता ने भारत की नियामक देरी पर विस्तार से चर्चा की और एक ऐसी नीति बनाने का आह्वान किया जो वैश्विक स्वास्थ्य मानकों को प्रतिबिंबित करे।
फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स के चंद्रकांत लहरिया ने भारत के वैज्ञानिक निष्कर्षों को प्रस्तुत किया, जिसमें दोहराया गया कि, HFSS खाद्य पदार्थ सीधे तौर पर जीवनशैली संबंधी बीमारियों में वृद्धि से जुड़े हैं। मधुमेह विशेषज्ञ बंशी साबू ने मधुमेह और मोटापे में खतरनाक वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, उपभोक्ता की पसंद भ्रामक पैकेजिंग और अनियमित स्वास्थ्य दावों से काफी प्रभावित होती है। वॉयस (उपभोक्ता शिक्षा के हित में स्वैच्छिक संगठन) के मुख्य परिचालन अधिकारी आशिम सान्याल ने लेबल साक्षरता और स्टार-आधारित या ट्रैफ़िक लाइट लेबलिंग सिस्टम के कारण होने वाले भ्रम के मुद्दे को संबोधित किया, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर राजेंद्रन नायर और राजीव शंकर द्विवेदी ने सख्त खाद्य लेबलिंग नियमों की मांग करने वाली चल रही जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का विस्तार से वर्णन किया।