SAF भविष्य में ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल देगा: IATA नेट जीरो कार्यक्रम प्रमुख प्रीति जैन

नई दिल्ली : एयरलाइन उद्योग के 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए संवहनीय विमानन ईंधन (SAF) के बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता पर अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) की हाल ही में हुई वार्षिक बैठक के दौरान व्यापक चर्चा हुई। एसोसिएशन ने यह भी घोषणा की कि, वह जल्द ही SAF मैचमेकर लॉन्च करेगा, जो SAF बाजार में पारदर्शिता लाने के लिए वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के अनुकूल ईंधन आपूर्तिकर्ताओं को एयरलाइनों से जोड़ेगा।

IATA में नेट जीरो रिसर्च एंड प्रोग्राम्स की प्रमुख प्रीति जैन ने बताया, दुनिया में जेट ईंधन की मांग की खपत सालाना 300 मिलियन टन है, लेकिन पिछले साल वैश्विक स्तर पर केवल एक मिलियन टन SAF का उत्पादन किया गया है और यह एक बड़ा अवसर है। भारत में 2050 तक लगभग 40 मिलियन टन SAF का उत्पादन करने की क्षमता है। यह ग्रामीण भारतीय परिवर्तन और सतत विमानन विकास को बढ़ावा देने के लिए एक वास्तविक आर्थिक अवसर है और इसे नहीं खोना चाहिए। भारत में ऊर्जा कंपनियां SAF का उत्पादन करने के लिए सह-प्रसंस्करण और एथेनॉल-टू-जेट संयंत्रों में निवेश करने पर विचार कर रही हैं।

उन्होंने आग्रह किया, फीडस्टॉक को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है और सरकार को SAF संयंत्रों में बिना किसी देरी के पूंजी सहायता प्रदान करना शुरू करना चाहिए। भारत भविष्य में खुद को एक अग्रणी क्षेत्रीय SAF हब के रूप में स्थापित कर सकता है। ऐसा एक प्लांट स्थापित करने में लगभग 100 से 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होंगे। जैन ने कहा की, जैव ईंधन में भारत का नेतृत्व अनुकरणीय है, नीतिगत समर्थन इसे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक बनाता है। उन्होंने कहा कि देश के बायोमास और अपशिष्ट संसाधनों को सही दिशा में लाने तथा प्रोत्साहनों और अनुसंधान-केंद्रित अनुदानों के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए निरंतर नीतिगत गति महत्वपूर्ण है।

भारत दुनिया के उन फीडस्टॉक हॉटस्पॉट में से एक है, जहां वैश्विक बायोमास फीडस्टॉक का 10% SAF के लिए उपलब्ध है। IATA के शीर्ष अधिकारी ने कहा, अब समय आ गया है कि भारत विमानन के लिए अपने मौजूदा फीडस्टॉक को युक्तिसंगत बनाए, जो कि कार्बन-मुक्त करने में कठिन क्षेत्र है, तथा SAF की कहानी को उत्प्रेरित करे। उन्होंने बताया कि अन्य जैव-ऊर्जा क्षेत्रों में इसके उपयोग के बाद भी भारतीय बाजार में SAF के लिए लगभग 100 मिलियन टन बायोमास उपलब्ध रहेगा।

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