चीनी मिलों के पेराई सत्र को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक फायदेमंद: बी. बी. ठोंबरे

पुणे: बारामती कृषि विकास ट्रस्ट, वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ और वेस्ट इंडिया शुगर मिल्स असोसिएशन (WISMA) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सेमिनार में बोलते हुए ‘WISMA’ के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि, 2024-25 के पेराई सत्र ने राज्य के चीनी उद्योग की आंखें खोल दी हैं। इस साल का पेराई सत्र मात्र 80 से 85 दिनों में समाप्त हो गया। उन्होंने कहा, पिछले सत्र में राज्य में 110 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस साल हम 80 लाख टन तक भी नहीं पहुंच पाए। राज्य में 14 से 15 लाख हेक्टेयर गन्ना रकबा होने के बावजूद 950 लाख टन गन्ना भी उपलब्ध नहीं हो पाया।

उन्होंने आगे कहा, महाराष्ट्र की औसत उत्पादकता 72 टन प्रति हेक्टेयर थी। बारामती में हमने देखा कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करके 86032 किस्म का उत्पादन 150 टन प्रति एकड़ हुआ है। अब समय आ गया है कि, गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बहुत गंभीरता से कदम उठाने चाहिए। वर्तमान में, राज्य के सभी मिलों को पेराई के लिए प्रति दिन 8.50 लाख टन गन्ने की आवश्यकता होती है। पेराई सीजन कम से कम 150 दिनों तक चलने पर ही मिलें नुकसान से बच सकती हैं। हालांकि, पेराई के दिनों में कमी के कारण चीनी मिलों को भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक गन्ने की फसल के लिए नई जीवनरेखा बनेगी। राज्य सहकारी चीनी मिल संघ के अध्यक्ष पी.आर.पाटिल ने कहा कि, राज्य की सभी चीनी मिलों तक यह तकनीक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य सहकारी बैंक के विद्याधर अनास्कर ने कहा कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक चीनी उद्योग को इसका उपयोग करने में मदद करेगी।

इससे पहले बारामती कृषि विकास केंद्र के विशेषज्ञ तुषार जाधव ने कहा कि, मिट्टी की उर्वरता कम होना, गन्ने की खेती में पानी का अत्यधिक उपयोग, गन्ने में शर्करा की मात्रा कम होना, कटाई में 15 से 16 महीने का समय लगना और उत्पादन लागत में वृद्धि जैसी सभी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भारत आए। इसमें माइक्रोसॉफ्ट ने 71 वैज्ञानिकों की नियुक्ति की। विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक विकसित की गई। जाधव ने कहा कि, महाराष्ट्र का प्रति एकड़ उत्पादन 35 से 40 टन है। हमने उस उत्पादन को 30 से 40 प्रतिशत बढ़ाने का विजन रखा है। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट और ऑक्सफोर्ड की मदद से 250 करोड़ रुपये के निवेश से ‘फार्म ऑफ द फ्यूचर’ की स्थापना की गई। एक एल्गोरिदम डैशबोर्ड विकसित किया गया। आज देश भर के किसान एल्गोरिदम का उपयोग कर सकेंगे। इन नई तकनीक का उपयोग गन्ना और चीनी उत्पादन की भविष्यवाणी करने और उत्पादन लागत को कम करने के लिए किया जा सकता है।

इस अवसर पर किसान संजीव माने (सांगली), सुरेश चिंचवड़े (पुणे), महेंद्र तुकाराम थोरात (दौंड, पुणे) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के कारण गन्ने की खेती में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी। किसानों के सवालों के प्रासंगिक जवाब दिए गए। इस बार वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विधायक जयंत पाटिल, सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल, कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, मंत्री हसन मुश्रीफ, राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल, पश्चिम भारतीय चीनी मिल संघ के अध्यक्ष बी.बी. ठोंबरे, राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ के अध्यक्ष पी.आर. पाटिल, पूर्व मंत्री बालासाहेब पाटील, विद्याधर अनास्कर, कृषि विकास ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ-साथ चीनी मिलर्स, विभिन्न सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारी, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here