बेलगावी : हुबली स्थित मालाप्रभा सहकारी चीनी मिल के बारे में मिल रही शिकायतों के मद्देनजर चीनी मंत्री शिवानंद पाटिल ने मिल का औचक दौरा किया। इस दौरान किसान नेताओं, श्रमिकों और प्रबंधन बोर्ड की ओर से शिकायतों की झड़ी लग गई।किसान संघ के नेताओं ने शिकायत की कि गन्ना उत्पादकों को गन्ना आपूर्ति का पैसा बकाया है। उन्होंने कहा कि, प्रबंधन बोर्ड के भ्रष्टाचार के कारण मिल को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि, प्रबंधन बोर्ड के कुछ सदस्यों ने लूटपाट की है, जिससे मिल को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। संचालक मंडल के अध्यक्ष ने मंत्री को बताया कि, मिल के घाटे का कारण जिले में चीनी मिलों की प्रतिस्पर्धा और किसान नेताओं के बीच टकराव है। किसान संघ के नेता आनंद हुचा गौदर ने कहा कि, मिल की खस्ता हालत पिछले और वर्तमान संचालक मंडल की कमियों के कारण है। उन्होंने कहा, संचालक मंडल ने कम चीनी उत्पादन दिखाया। उन्होंने अवैध रूप से बड़ी मात्रा में चीनी का भंडारण कर उसका दुरुपयोग किया। हमने इस अनियमितता को पकड़ा और उपायुक्त से शिकायत की। अनियमितताओं से संबंधित दस्तावेजों के साथ लोकायुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई। हमने अनियमितता में शामिल लोगों की टेलीफोन पर बातचीत के रिकॉर्ड भी लोकायुक्त को दिए।
सरकार ने प्रबंध निदेशक के पद पर अधिकारी की नियुक्ति की, लेकिन निदेशक मंडल ने उसे कार्यभार संभालने नहीं दिया और जिसे चाहा उसे नियुक्त कर दिया। निदेशक मंडल के अध्यक्ष बसवराज ने कहा कि, जिले में चीनी मिलों की संख्या में वृद्धि भी घाटे का एक कारण है। मिल में आवश्यक मात्रा में गन्ना नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि, किसान संघ के नेताओं का असहयोगात्मक रवैया भी है। किसान नेता बसवराज मोकाशी ने बताया कि, सत्ता में बैठे लोगों के कुप्रबंधन के कारण मिल को घाटा हुआ है। किसानों ने प्रबंधन मंडल को तत्काल बर्खास्त करने, अनियमितताओं की जांच कर पैसा वसूलने की मांग की। फैक्ट्री घाटे में होने के बावजूद चल रही लूट को रोका जाए, फैक्ट्री को सरकारी सहायता से चलाया जाए और एमडी के पद पर सरकारी अधिकारी की नियुक्ति की जाए। अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि फैक्ट्री ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से कुल 135 करोड़ रुपए लिए हैं। ब्याज सहित यह ऋण 160 करोड़ रुपए है।