FRP का वर्तमान सीजन की गन्ना पेराई और चीनी रिकवरी के आधार पर भुगतान करने का हुआ स्पष्टीकरण

पुणे: केंद्र सरकार के कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि, चीनी मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान ‘एफआरपी’ के अनुसार करती हैं, लेकिन यह भुगतान केवल उस वर्ष के पेराई किए गए गन्ने की चीनी रिकवरी के आधार पर ही किया जाना चाहिए। इस निर्णय से, औसत रिकवरी का पता पेराई सीजन समाप्त होने के बाद चलेगा, जिसके बाद एफआरपी तय की जाएगी, इसलिए एक ही चरण में एफआरपी देना मुश्किल होगा। एफआरपी तय करते समय चीनी उपज / रिकवरी महत्वपूर्ण होती है। हालाँकि, एफआरपी राशि की गणना किस वर्ष के आधार पर की जानी चाहिए? इस पर किसान संगठनों और चीनी मिलों के बीच विवाद था।

चालू सीजन के गन्ने के लिए एफआरपी की गणना पिछले सीजन में पेराई किए गए गन्ने की औसत चीनी उपज के आधार पर की जा रही थी। चीनी मिलों ने इस पर आपत्ति जताई थी। मिलों की मांग थी कि एफआरपी उसी वर्ष की चीनी रिकवरी के आधार पर निर्धारित किया जाए, जिसमें गन्ना काटा गया हो। चूँकि इस संबंध में कहीं भी स्पष्टता नहीं थी, इसलिए अब तक पुरानी नीति के अनुसार ही एफआरपी निर्धारित की जा रही थी। इस संबंध में केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण माँगा गया था। इस पर विभाग ने स्पष्ट किया है की एफआरपी इसी सीजन की गन्ना पेराई और चीनी रिकवरी के आधार पर निर्धारित की जाए।।

केंद्र सरकार के इस रुख पर स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने कहा कि हम केंद्र के इस फैसले का कड़ा विरोध करेंगे। चीनी रिकवरी तय करने के लिए पूरा सीजन का इंतज़ार क्यों किया जाए? मिलों को उस दिन की रिकवरी के अनुसार पेराई किए गए गन्ने का भुगतान करना चाहिए। वरिष्ठ चीनी उद्योग विशेषज्ञ पी. जी. मेढे ने कहा कि, एफआरपी उस वर्ष की चीनी रिकवरी के आधार पर ही निर्धारित होनी चाहिए, यही कानून है। चीनी मिलों की यही मांग थी। इसी के अनुसार केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है।

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