महाराष्ट्र सरकार गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए AI के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगी

मुंबई : केंद्र द्वारा गुरुवार को घोषित नई सहकारिता नीति के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार जल्द ही कई सुधारों के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में राज्य की अग्रणी स्थिति को मजबूत करने के लिए अपनी नीति तैयार करेगी।सहकारिता विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि, केंद्र की नई सहकारिता नीति के अनुरूप, राज्य की नीति प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों सहित विभिन्न सहकारी निकायों के डिजिटलीकरण और कम्प्यूटरीकरण पर ज़ोर देगी ताकि निर्बाध सेवाएं प्रदान की जा सकें। उनके कामकाज को और बेहतर बनाने और सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर पर्याप्त ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, नीति विशेष रूप से सहकारी बैंकों द्वारा वार्षिक कृषि ऋण को वर्तमान 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2029 तक 60,000 करोड़ रुपये करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। नीति 2029 तक दूध उत्पादन को वर्तमान 60 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 1 करोड़ लीटर प्रतिदिन करने का भी प्रयास करेगी।”

अधिकारी ने बताया कि, महाराष्ट्र 200 से ज़्यादा सहकारी और निजी चीनी मिलों के साथ राष्ट्रीय चीनी उत्पादन में अग्रणी उत्पादक और योगदानकर्ता राज्यों में से एक है। सरकार पानी के इस्तेमाल को कम करते हुए गन्ने का प्रति एकड़ उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा, राज्य में लगभग 455 शहरी सहकारी बैंक हैं और सरकार उनके कामकाज में और अधिक व्यावसायिकता लाने का प्रस्ताव रखती है ताकि वे वित्तीय रूप से मजबूत बन सकें और वित्तीय संकट में पड़ने की संभावना कम हो।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में घोषणा की कि सरकार सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन करके इसे समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएगी। सहकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2.2 लाख से ज़्यादा सहकारी समितियाँ, 21,014 गैर-कृषि सहकारी समितियां, 455 शहरी सहकारी बैंक, 31 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और 200 से ज़्यादा सहकारी और निजी चीनी मिलें हैं। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों द्वारा मुख्यतः मौसमी कृषि कार्यों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋण प्रदान किया जाता है। राज्य में लगभग 12,000 से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ हैं, जिनमें 30 कृषि सेवा समितियां और 885 आदिवासी सहकारी समितियां शामिल हैं, जिनके क्रमशः लगभग 67,000 और 7.4 लाख सदस्य हैं। सरकार वर्तमान में इन प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनका कम्प्यूटरीकरण कर रही है।

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