पुणे (महाराष्ट्र) : राज्य की चीनी मिलें अपने पेराई में से लगभग 40 से 60 प्रतिशत कार्यक्षेत्र के बाहर के गन्ने का पेराई करती हैं। इससे कटाई और परिवहन में भारी वृद्धि होती है। राज्य के लिए कटाई और परिवहन दरें 25 किलोमीटर तक गन्ना पेराई के लिए निर्धारित की जानी चाहिए। इससे ज्यादा परिवहन दर संबंधित मिलों से वसूली जानी चाहिए।यह माँग स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के संस्थापक, पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने प्रदेश के चीनी आयुक्त सिद्धराम सालीमठ से की। उन्होंने दावा किया कि, कार्य क्षेत्र से बाहर गन्ना लाने से स्थानीय गन्ना किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
इस संबंध में राजू शेट्टी द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, 25 किलोमीटर तक गन्ने की अधिकतम परिवहन दर 382 रुपये और कटाई दर 440 रुपये प्रति टन है, जो कमीशन सहित प्रति टन 822 रुपये होती है। पेराई की बढ़ी हुई लागत का इस पर असर पड़ता है। हर एक चीनी मिल को पेराई के लिए जरुरी गन्ना मिलें, इसके लिए दो चीनी मिलों के बीच 25 किलोमीटर की दूरी का नियम बनाया गया है। एक तरफ जहां गन्ना पेराई के लिए कम पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अधिकांश मिलों ने फर्जी रिपोर्ट दिखाकर कि चीनी मिलों के क्षेत्र में गन्ना उत्पादन बढ़ा है, अपनी पेराई क्षमता बढ़ा ली है। परिणामस्वरूप, 40 से 50 प्रतिशत गन्ना मिल संचालन क्षेत्र के भीतर से और शेष 50 से 60 प्रतिशत गन्ना मिल संचालन क्षेत्र के 25 किलोमीटर बाहर से लाया जाता है। इससे मिल क्षेत्र के भीतर गन्ना उत्पादक सदस्यों को भारी नुकसान हो रहा है। इसके लिए राज्य के लिए 25 किलोमीटर तक एक निश्चित कटाई और परिवहन दर लागू की जानी चाहिए। उस क्षेत्र के बाहर गन्ने की कटाई और परिवहन लागत संबंधित मिल से वसूल की जानी चाहिए।