विशाखापटनम: उत्पादन लागत में वृद्धि, मजदूरों की कमी और कई चीनी मिलों के बंद होने के कारण आंध्र प्रदेश में गन्ने की खेती में भारी गिरावट आई है। राज्य का चीनी उद्योग संकट में है।किसान बकाया भुगतान न होने और मिलों से जुड़ी अनिश्चितता के कारण जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।विशाखापटनम जिले में, गोवाडा चीनी मिल चार में से एकमात्र बची हुई मिल है। हालांकि, इस पर पिछले पेराई सत्र का किसानों का लगभग 32 करोड़ रुपये बकाया है। इस सीजन में चालू रहने के लिए, मिल को ओवरहालिंग और अन्य खर्चों के लिए 60 करोड़ रुपये की और आवश्यकता है, जिससे कुल आवश्यकता 90 करोड़ रुपये हो जाती है। किसान पिछले पेराई सत्र से ही अपने पैसे का इंतज़ार कर रहे हैं, और इस देरी के कारण विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित खबर में कहा गया है की, चीनी उद्योग से जुड़ी अनिश्चितता के कारण कई किसान पहले ही मक्का, धान, कैसुरीना और सूरजमुखी जैसी अन्य फसलों की खेती शुरू कर चुके हैं। चीनी मिलों का बंद होना एक प्रमुख कारण रहा है।विशाखापटनम जिले में भीमसिंगी और सीतानगरम नामक दो मिलें बंद हो गई हैं। किसान अब अपनी उपज को पेराई के लिए श्रीकाकुलम जिले में ले जा रहे हैं। वहीं, कृष्णा जिले में भी ऐसी ही स्थिति है, जहाँ हाल के वर्षों में चल्लापल्ली, लक्ष्मीपुरम और हनुमान जंक्शन की मिलें बंद हो गई हैं।
पिछले एक दशक में राज्य में गन्ने की खेती का क्षेत्रफल घटकर केवल 40,000 हेक्टेयर रह गया है। अनकापल्ली जिले में तो भारी गिरावट आई है, जहाँ किसान अब 3,000 हेक्टेयर से भी कम क्षेत्रफल पर खेती कर रहे हैं, जबकि सात साल पहले यह 30,000 हेक्टेयर था। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बात करते हुए, गन्ना किसान ए सत्यनारायण ने कहा कि, गन्ना एक दीर्घकालिक फसल है, जिसमें 10 महीने लगते हैं और इसके लिए काफी निवेश की आवश्यकता होती है। किसानों को प्रति एकड़ केवल 85,000 से 90,000 रुपये की आय मिल रही है। 80,000 रुपये निवेश करने के बाद वर्षा आधारित भूमि पर यह 65,000 रुपये से भी कम है। किसान कैसे गुजारा करेगा?। ज्यादातर किसान गुड़ पर निर्भर हैं, क्योंकि अनकापल्ली जिला देश का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, गुड़ की कीमतों से किसानों को ज़्यादा फ़ायदा नहीं हुआ है, क्योंकि उन्हें प्रति 10 किलो गुड़ के दाम केवल 381 रुपये ही मिले हैं।
एक अन्य किसान रामुनायडू ने बताया कि, चीनी मिलों की संख्या भी कम हो गई है, अब 29 में से केवल पाँच मिल ही चल रही हैं। इनमें से नौ सहकारी चीनी मिल बंद हो चुकी हैं, जिनमें तीन तत्कालीन विशाखापटनम की और 15 निजी मिलें शामिल हैं। उन्होंने कहा, गोवड़ा चीनी मिल का भविष्य अनिश्चित है और उसे इस सीजन में पेराई के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की ज़रूरत है। पहले, यहाँ लगभग पाँच लाख टन गन्ने की पेराई होती थी, लेकिन अब यह घटकर केवल एक लाख टन रह गई है। इस साल, किसानों को उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है।