पुणे : पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि, राज्य में निजी मिलों की पेराई क्षमता बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। इस कारण कम क्षमता वाली सहकारी मिलों का टिक पाना मुश्किल हो गया है। चूँकि इन निजी मिलों में श्रमिकों की संख्या भी कम हो गई है, इसलिए सहकारी मिलों का इनसे प्रतिस्पर्धा में टिक पाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए, राज्य सरकार को पेराई क्षमता के बारे में सोचने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि, राज्य सहकारी चीनी मिल संघ और राज्य सरकार के बीच चर्चा करके इस संबंध में नीति तय करने की आवश्यकता है।
‘अग्रोवन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पवार ने साथी किशोर पवार की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘चीनी उद्योग और श्रमिक आंदोलन – अनुभव और दृष्टि’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। पूर्व राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात, साथी किशोर पवार प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. किरण ठाकुर, राज्य चीनी श्रमिक प्रतिनिधि संघ के अध्यक्ष तात्यासाहेब काले, प्रतिष्ठान की सचिव वंदना पवार, उपाध्यक्ष अंकुश काकड़े उपस्थित थे। इस अवसर पर पवार ने कहा कि, एक समय निजी मिलें हुआ करती थी, लेकिन वे महाराष्ट्र के लोगों की थी। अब वह तस्वीर दिखाई नहीं देती। उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। हालाँकि, महाराष्ट्र में सहकारी आंदोलन दिन-प्रतिदिन कमजोर पड़ने लगा है।उन्होंने कहा, श्रमिकों की अब निजी मिलों में रुचि नहीं रही।