इस्लामाबाद: पूर्व प्रधानमंत्री और आवाम पाकिस्तान पार्टी के संयोजक शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी ने कहा कि, जनता की जेब से 300-400 अरब रुपये चीनी मिल मालिकों के पास गए, क्योंकि सरकारें, जो जनता की प्रतिनिधि नहीं हैं, जनता की नहीं, बल्कि अपनी जेबों की चिंता करती हैं। यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि चीनी की कीमत लगभग 200 रुपये प्रति किलो हो गई है और एक साल में इसकी कीमत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने पूछा कि, सरकार और कैबिनेट कहाँ हैं और क्या यही उनका ‘प्रदर्शन’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि, चीनी का आयात करते समय, उपभोक्ताओं को राहत देने के बजाय चीनी मिल मालिकों को अतिरिक्त लाभ पहुँचाया गया।
अब्बासी ने कहा कि, मैं भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगाता; जनता को ही तय करने दीजिए कि यह अक्षमता है या भ्रष्टाचार।उन्होंने तर्क दिया की, चीनी उत्पादन, उपलब्धता और उसकी कीमत पर नज़र रखने वाली आठ समितियों के बावजूद यह चलन जारी है। ज़्यादातर चीनी मिलों का स्वामित्व प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार में बैठे लोगों के पास है। अब्बासी ने बताया कि, अगर चीनी की कीमत एक रुपये प्रति किलो भी बढ़ जाती है, तो लोगों को 7 अरब रुपये का नुकसान होता है। उन्होंने अफ़सोस जताया कि जब देश में पर्याप्त चीनी नहीं थी, तब इसके निर्यात की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, आज भी, लोगों की जेब से हर दिन 1 अरब रुपये चीनी मिल मालिकों के पास जा रहे हैं। सरकार, संसद और चीनी मूल्य नियंत्रण समितियाँ विफल रही हैं।
अब्बासी ने अपनी आलोचना सिर्फ़ चीनी तक ही सीमित नहीं रखी।उन्होंने कहा कि, आटे का संकट और भी बदतर हो गया है, और इसे देश के कुशासन का एक स्पष्ट संकेत बताया। उन्होंने कहा, “देश में शासन की यही हालत है। क्या कोई जवाब देने वाला है? कम से कम अपनी गलती तो मान लो। एक वरिष्ठ मंत्री, ख्वाजा आसिफ ने विधानसभा में कहा कि, भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है, और फिर एक अन्य मंत्री ने उन पर हमला बोला, लेकिन न तो कैबिनेट ने और न ही संसद ने इस पर ध्यान दिया।