कोल्हापुर: कोल्हापुर जिला केंद्रीय सहकारी (केडीसीसी) बैंक की वार्षिक आम बैठक में, अध्यक्ष और मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि, अगर अगले दो वर्षों में गन्ने की उत्पादकता दोगुनी नहीं की गई, तो चीनी उद्योग बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने किसानों से गन्ने की खेती के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अपनाने का आग्रह किया और दावा किया कि इसके इस्तेमाल से बारामती के किसानों ने अपनी उत्पादकता 125 टन प्रति एकड़ तक बढ़ा ली है। कोल्हापुर में, सामान्यतः उत्पादन लगभग 25-30 टन प्रति एकड़ होता है। मुश्रीफ ने कहा, केडीसीसी बैंक ने वसंतदादा शुगर इन्स्टिट्यूट, बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र और चीनी मिलों को किसानों द्वारा एआई तकनीक अपनाने के लिए दिए जाने वाले हिस्से का भुगतान करने का फैसला किया है।
हम फसल ऋण की राशि भी बढ़ाने जा रहे हैं ताकि किसानों को यह तकनीक मिल सके। चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) नहीं बढ़ाया गया है। एथेनॉल उत्पादन और उपयोग की सीमाएं हैं। हाल ही में, कुछ वर्ग एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। सरकार को अब चीनी मिलों के को-जन प्लांट से उत्पन्न बिजली की आवश्यकता नहीं है। तो उद्योग कैसे चलेगा? एकमात्र उपाय यह सुनिश्चित करना है कि चीनी मिलें वर्तमान में तीन महीने की बजाय साल में छह महीने चलें। यह सुनिश्चित करने के लिए, हमें उत्पादकता 25-30 टन से बढ़ाकर 60 टन करनी होगी।
जिले के शीर्ष सहकारी बैंक ने आगामी वर्ष में लाभ को 325 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। बैंक के पास 3,955 करोड़ रुपये की कार्यशील पूँजी है। मुश्रीफ ने यह भी बताया कि, केडीसीसी ने लाडली बहन लाभार्थियों के लिए एक वित्तीय सहायता योजना शुरू की है, जिन्हें राज्य सरकार से 1,500 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। उन्होंने कहा, “लाडली बहनों को अपने पैरों पर खड़ा करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए, हमने उन्हें 30,000 रुपये की सहायता प्रदान करने की योजना शुरू की है।
उन्होंने कहा, 12,483 महिलाओं को कुल 37 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया है। ऋण की पूरी राशि के लिए किस्त 960 रुपये प्रति माह है। अगर महिलाएं समय पर ऋण चुकाती हैं, तो हम उन्हें 50,000 रुपये का ऋण देंगे।उन्होंने विदेश में पढ़ाई और देश में उच्च शिक्षा के लिए धन की तलाश कर रहे छात्रों के लिए शिक्षा ऋण योजना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि, छात्रों को 30 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा। मंत्री ने कहा, आमतौर पर बैंक 12% ब्याज दर पर शिक्षा ऋण देते है।हालाँकि, हमने इसे केवल 8% प्रति वर्ष की दर पर देने का निर्णय लिया है। इससे ग्रामीण छात्रों को विदेश में पढ़ाई करने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।