पीलीभीत : हाल ही में आई बाढ़ और जलभराव के कारण हुई बीमारियों और कीटों के प्रकोप की खबरों के बाद, उत्तर प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों में गन्ने के खेतों में बीमारियों और कीटों के संक्रमण की वैज्ञानिक पहचान के लिए एक संयुक्त सर्वेक्षण शुरू किया गया है। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ना आयुक्त मिनिस्ती एस. के आदेश पर, यह सर्वेक्षण भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) और उत्तर प्रदेश गन्ना अनुसंधान परिषद (यूपीसीएसआर) के वैज्ञानिकों के साथ-साथ सभी नौ गन्ना संभागों के जिला गन्ना अधिकारियों और उपायुक्तों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
यूपीसीएसआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि, प्रत्येक संभाग में आईआईएसआर और यूपीसीएसआर दोनों से दो-दो वैज्ञानिकों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा, हम जलभराव वाले ऐसे खेतों में ड्रोन के ज़रिए रसायनों के छिड़काव का प्रबंधन करेंगे जहाँ पहुँच संभव नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि, चीनी मिलों और गन्ना विकास समितियों के माध्यम से किसानों को 25% से 50% की सब्सिडी पर रसायन और कीटनाशक उपलब्ध कराए जाएँगे।
गन्ना आयुक्त ने कहा कि, गन्ना वैज्ञानिक किसानों को रसायनों के आवश्यक छिड़काव के बारे में मार्गदर्शन देंगे, जबकि राज्य गन्ना विभाग उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर एक सलाह तैयार करेगा। गन्ना आयुक्त ने कहा, गन्ना विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों को छिड़काव के लिए आवश्यक रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा, ड्रोन और छिड़काव प्रणाली तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि, राज्य गन्ना विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 30 लाख हेक्टेयर में गन्ना उगाया जाता है, जिसकी औसत उत्पादकता 2024-25 गन्ना वर्ष में 830.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है। राज्य में 50 लाख से ज़्यादा किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हैं।