नई दिल्ली: राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ (NFCSF) ने केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) में 25% की वृद्धि का अनुरोध किया है। इस कदम का उद्देश्य चीनी की कीमतों को स्थिर करना और चीनी उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। मंत्रालय के सचिव संजीव चोपड़ा को लिखे पत्र में, महासंघ ने आगामी चीनी सत्र, जो 1 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, के लिए चीनी का एमएसपी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3,900 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव रखा है।
NFCSF के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने पत्र में कहा, इस बदलाव से मुद्रास्फीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके बजाय, इससे सहकारी चीनी मिलों को लाभ होगा और मूल्य स्थिरता बढ़ेगी।पत्र में कहा गया है कि, चालू चीनी सीज़न (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी का एक्स-फ़ैक्ट्री मूल्य 3,860 रुपये से 3,940 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहा है, जबकि मंत्रालय द्वारा निर्धारित वर्तमान एमएसपी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल है।
NFCSF का तर्क है कि, एमएसपी बढ़ाने से मुद्रास्फीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और “इन घटनाक्रमों के मद्देनजर, वास्तविक उत्पादन लागत संरचना को सटीक रूप से दर्शाने के लिए एमएसपी में वृद्धि करना अनिवार्य है। पत्र में आगे बताया गया है, इस तरह के संशोधन से उपभोक्ता कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बाजार दरें पहले से ही इस सीमा के भीतर हैं। इसके अतिरिक्त, यह मौजूदा एक्स-मिल कीमतों को वैधानिक समर्थन प्रदान करेगा, जिससे इस क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि, वर्तमान बाजार-स्वीकृत खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति सूचकांक को प्रभावित नहीं करते हैं।
आगामी चीनी उत्पादन वर्ष (2025-26) के लिए, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अनुकूल मानसून की स्थिति के कारण उद्योग द्वारा 35 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। NFCSF का अनुमान है कि, 45 लाख टन चीनी एथेनॉल उत्पादन के लिए और 20 लाख टन निर्यात के लिए इस्तेमाल की जाएगी। हालांकि, इस वर्ष कुल चीनी उत्पादन लगभग 31 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसमें एथेनॉल और निर्यात के लिए इस्तेमाल की गई चीनी शामिल है, जो पिछले वर्ष के 34 लाख टन से कम है। विभिन्न अनुमानों से संकेत मिलता है कि घरेलू खपत के लिए लगभग 262 लाख टन चीनी उपलब्ध होगी।चीनी की उपलब्धता में कमी का कारण बेमौसम बारिश और चीनी क्षेत्र में कीटों का हमला है।