मैसूर : किसान संगठनों के महासंघ और राज्य गन्ना उत्पादक संघ के सदस्यों ने गुरुवार को यहाँ बैठक की और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के माध्यम से फसल नुकसान के लिए दिए जाने वाले मुआवजे में वृद्धि की मांग की।कुरुबुर शांताकुमार के नेतृत्व में किसानों ने कहा कि, केंद्र को बारिश या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान के लिए दिए जाने वाले मुआवजे में संशोधन और वृद्धि करनी चाहिए। शांताकुमार ने कहा कि, वर्तमान में दी जा रही राशि बहुत कम है और इससे लागत भी पूरी नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को उनकी मांगों के लिए राज्य भर में विरोध प्रदर्शन होंगे।
शांताकुमार ने कहा कि बारिश, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुए फसल नुकसान के लिए एनडीआरएफ द्वारा निर्धारित मुआवजा वैज्ञानिक नहीं है और इसलिए उन्होंने जमीनी स्थिति के आधार पर इसकी वैज्ञानिक समीक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि, केंद्र को तुरंत मानदंडों में संशोधन करना चाहिए और कल्याण कर्नाटक और उत्तरी कर्नाटक के किसानों के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिन्हें हाल ही में आई बाढ़ के कारण भारी फसल नुकसान हुआ है।
महासंघ के सदस्यों ने लगातार बारिश के कारण किसानों को हुए आर्थिक नुकसान पर चर्चा की और सरकार से किसानों द्वारा लिए गए फसल ऋण को माफ करने की मांग की। शांताकुमार ने कहा कि गन्ने के लिए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में खेती की लागत शामिल होनी चाहिए, जो ₹3,700 प्रति माह है और यह बात कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के संज्ञान में लाई गई है। इसलिए राज्य सरकार को गन्ने के लिए ₹3,700 प्रति टन का एसएपी घोषित करना चाहिए।
किसानों ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी सवाल उठाया, जिसे राज्य सरकार ने ₹2,369 प्रति क्विंटल तय किया है। इसे अवैज्ञानिक बताते हुए, किसान संगठनों ने कहा कि, सरकार को ₹500 प्रति क्विंटल का अतिरिक्त प्रोत्साहन देना चाहिए और तुरंत धान खरीद केंद्र खोलने चाहिए। महासंघ ने यह भी घोषणा की कि, 23 दिसंबर को कलबुर्गी में विश्व किसान दिवस मनाया जाएगा और इस अवसर पर एक राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के दौरान, कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 10 किसानों को सम्मानित किया जाएगा। इस बैठक में हसीरू सेने और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों सहित 200 से अधिक किसान शामिल हुए।