कर्नाटक : गन्ना तौल में धोखाधड़ी रोकने के लिए चीनी मिलों के सामने तौल मशीनें लगाने की मांग

मैसूर: राज्य किसान संगठन महासंघ और राज्य गन्ना उत्पादक संघ के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत फसलों के लिए मुआवजा राशि में संशोधन की मांग की। उन्होंने शुक्रवार को मैसूर में उपायुक्त कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और उपायुक्त के मुख्यालय सहायक शिवप्रसाद और कृषि उप निदेशक डी. राजू के माध्यम से उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा।

संघ के अध्यक्ष कुरुबुरू शांताकुमार ने कहा कि विधायक, सांसद और मंत्री नियमित रूप से अपने वेतन में वृद्धि करते हैं।उन्होंने कहा, सरकारी कर्मचारियों को भी हर साल वेतन वृद्धि मिलती है। हालांकि, किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा आठ साल बाद भी नहीं बढ़ाया गया है। सभी जनप्रतिनिधि किसानों की दुर्दशा पर घड़ियाली आँसू बहाते हैं। लेकिन, वे किसानों के कल्याण के लिए कुछ नहीं करते। उन्होने कहा, गन्ने की तौल में धोखाधड़ी रोकने के लिए, सरकार को चीनी मिलों के सामने तौल मशीनें लगानी चाहिए।

शांताकुमार ने मांग की कि बारिश, बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान के लिए एनडीआरएफ के मानक में संशोधन किया जाए और मुआवजे की राशि बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा, मौजूदा मुआवजा अवैज्ञानिक है। वर्षा आधारित फसलों के नुकसान के लिए इसे बढ़ाकर कम से कम 25,000 रुपये प्रति एकड़, सिंचित बागवानी फसलों के लिए 40,000 रुपये प्रति एकड़ और व्यावसायिक फसलों के लिए 60,000 रुपये प्रति एकड़ किया जाना चाहिए।

उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि, वह बारिश और बाढ़ से हुए फसल नुकसान के लिए पंजाब की तरह कर्नाटक को भी 5,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दे। उन्होंने कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से इन मांगों पर जोर देने का आग्रह किया। शांताकुमार ने कहा कि, राज्य सरकार के कृषि विभाग ने केंद्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को बताया है कि एक टन गन्ने की खेती की लागत 3,700 रुपये है। इस प्रकार, राज्य सरकार ने गन्ने के लिए एक अतिरिक्त राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय किया है। राज्य सरकार द्वारा दो साल पहले घोषित अतिरिक्त 150 रुपये प्रति टन, सरकार को चीनी मिलों से किसानों को जारी करना चाहिए।

कृषि उपयोग के लिए मनरेगा योजना, जो रुकी हुई है, को फिर से शुरू किया जाना चाहिए।राज्य सरकार को किसानों से 2,369 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीदने के लिए खरीद केंद्र खोलने चाहिए, साथ ही 500 रुपये प्रति क्विंटल का प्रोत्साहन बोनस भी देना चाहिए।इस विरोध प्रदर्शन में अट्टाहल्ली देवराज, बरदानपुरा नागराज, सोमशेखर, वरकोडु नागेश, मारबल्ली नीलकंठप्पा, लक्ष्मीपुरा वेंकटेश, देवनुरु विजयेंद्र, हम्पापुरा राजेश, देवनुरु महादेवप्पा, कुरुबुरु प्रदीप, रंगराजा, कटूरू महादेवस्वामी, कटूरू नागेश, अंबाले मंजूनाथ, गिरीश, कूर्गल्ली रविकुमार, नंजुंदास्वामी, वजमंगला महादेवु, नागेंद्र पी, पुट्टेगौदानहुंडी राजू, शिवशंकर, वरकोडु जयराम और कर्नाली बालू ने भाग लिया।

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