गन्ना मूल्य भुगतान का आधार ‘वर्तमान’ सीजन के रिकवरी को बनाया जाए: केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग की बैठक में चीनी उद्योग की मांग

नई दिल्ली: चीनी उद्योग ने मांग की है कि एफआरपी राशि के भुगतान के लिए वर्तमान सीजन के रिकवरी के आधार पर मूल्य तय किया जाए, और पिछले वर्ष के रिकवरी के आधार पर भुगतान की प्रथा बंद की जाए। यह माँग नई दिल्ली में आयोजित केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग (CACP) की बैठक में चीनी उद्योग द्वारा की गई। CACP ने स्वयं यह सिफारिश की थी कि, चालू वर्ष के रिकवरी को एफआरपी राशि के भुगतान का आधार बनाया जाए।

चीनी सत्र 2026-27 के लिए गन्ना मूल्य पर चर्चा हेतु CACP अध्यक्ष डॉ. विजय पॉल शर्मा की अध्यक्षता में देश के चीनी उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ गुरुवार (30 अक्टूबर) को नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सीएसीपी सदस्यों के साथ-साथ ‘विस्मा’ के प्रबंध निदेशक अजीत चौगुले, महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ के वरिष्ठ निदेशक जयप्रकाश दांडेगावकर, प्रबंध निदेशक संजय खताल और भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के निदेशक दीप मलिक, महानिदेशक दीपक बलानी आदि उपस्थित थे।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ, दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ (सिस्मा) तमिलनाडु, बिहार चीनी मिल संघ, उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी कारखाना महासंघ लिमिटेड, हरियाणा और पंजाब राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ लिमिटेड के पदाधिकारी, प्रतिनिधि आदि तथा अन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस दौरान चीनी उद्योग संगठनों ने समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न सुझाव रखे और उनके समाधान की मांग की। यह जानकारी अजीत चौगुले ने दैनिक ‘पुढारी’ को दी।

चौगुले ने कहा कि, गन्ना उत्पादन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक के उपयोग को बढ़ाने के लिए परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाना चाहिए और केंद्र व राज्य सरकारों को इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। कृषि विभाग, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत गन्ना कटाई मशीनों पर अनुदान के लिए गन्ना कटाई मशीन घटक को सहायता प्रदान करता है। हालाँकि, इसका संपूर्ण कार्यान्वयन चीनी आयुक्तालय द्वारा किया जाता है। अतः योजना के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु अनुदान राशि सीधे चीनी आयुक्तालय स्तर पर प्रदान की जानी चाहिए। चीनी उद्योग के लिए गन्ना उत्पादकता महत्वपूर्ण है। अतः बढ़ते विरोध को देखते हुए, गन्ना उत्पादकता बढ़ाने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक को बढ़ावा देने हेतु एक ठोस नीति लाई जानी चाहिए।

केंद्र सरकार हर महीने चीनी बिक्री कोटा खोलती है और उसी के अनुसार मिलें अपने स्टॉक में बची हुई चीनी बेच सकती हैं। इसके कारण, एफआरपी राशि का भुगतान करने में कठिनाइयां आ रही हैं। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा छह वर्षों से अधिक समय से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) 3,100 रुपये निर्धारित किया गया है। यह मांग की गई कि बढ़ती एफआरपी के अनुरूप MSP बढाकर 4100 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए और एथेनॉल की कीमत को गन्ने की एफआरपी दर से जोड़ा जाए।

गुड़ पाउडर और खांडसारी परियोजनाओं को कानून के दायरे में लाया जाए…

गुड़ पाउडर और खांडसारी परियोजनाएँ अब प्रतिदिन तीन हज़ार मीट्रिक टन की विशाल क्षमता के साथ गन्ने की पेराई कर रही हैं। महाराष्ट्र में गुड़ पाउडर और खांडसारी परियोजनाओं द्वारा प्रतिदिन 65 हज़ार मीट्रिक टन गन्ने की पेराई की जाती है। जो औसतन 13 चीनी मिलों की गन्ना पेराई क्षमता के बराबर है। गुड़ पाउडर निर्माता और खांडसारी उद्योग भी हैं जो 10 करोड़ टन गन्ने की पेराई करते हैं। इन्हें छोड़कर, केंद्र सरकार को 100 टन से अधिक गन्ना पेराई क्षमता वाली परियोजनाओं को एफआरपी अधिनियम के दायरे में लाना चाहिए और लाइसेंसिंग प्रणाली लागू करनी चाहिए। चौगुले ने यह भी कहा कि, सीएसीपी को अपनी रिपोर्ट में इसे शामिल करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here