नई दिल्ली : खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार, केंद्र ने अक्टूबर में शुरू होने वाले 2025-26 सीज़न के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जोशी ने बताया कि केंद्र सरकार ने अक्टूबर में शुरू होने वाले 2025-26 सीज़न के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है।
जोशी ने 7 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे एक पत्र में कहा, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने मोलासेस पर 50% निर्यात शुल्क हटाने का फैसला किया है। निर्यात का यह फैसला भारत में गन्ना किसानों के हितों का समर्थन करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यापक उपायों का हिस्सा है। जोशी ने कहा, मौजूदा चीनी सीज़न के लिए भी, केंद्र सरकार ने 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है और मोलासेस पर 50 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटा दिया गया है।
यह चीनी उद्योग द्वारा मांगे गए 20 लाख टन से कम है। 2024-25 सीजन में, भारत ने लगभग 800,000 टन चीनी का निर्यात किया, जबकि शुरुआत में 10 लाख टन चीनी का निर्यात आवंटित किया गया था। भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) द्वारा इस सप्ताह जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2025-26 के चीनी सीजन में भारत का चीनी उत्पादन तेज़ी से बढ़कर 343.5 लाख टन होने का अनुमान है, जो 2024-25 के 296.1 लाख टन से लगभग 16 प्रतिशत अधिक है।
अक्टूबर 2025 में ली गई मानसून-पश्चात उपग्रह तस्वीरों पर आधारित इन अनुमानों की समीक्षा 4 नवंबर को आयोजित ‘इस्मा’ की कार्यकारी समिति की बैठक में की गई। यह आकलन देश भर के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ने के बेहतर रकबे, अनुकूल मौसम और बेहतर पैदावार को दर्शाता है।वर्ष 2025-26 के लिए गन्ने का कुल रकबा 57.35 लाख हेक्टेयर अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के 57.11 लाख हेक्टेयर से थोड़ा अधिक है, जो कि 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्शाता है।यह सुधार अच्छे मानसून, पर्याप्त जलाशय स्तर और प्रमुख क्षेत्रों में मजबूत गन्ना विकास कार्यक्रमों के कारण है।
‘इस्मा’ ने बताया कि, अधिकांश चीनी क्षेत्रों में वर्षा प्रचुर मात्रा में हुई है और जलाशय भंडारण फसल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त बना हुआ है। चित्र और क्षेत्र रिपोर्टें देश भर में फसल की अच्छी से बहुत अच्छी स्थिति का संकेत देती हैं।












