बेंगळुरू : मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि, इस जिले में गन्ने से लदे ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों में आग लगाने वालों की पहचान के लिए जांच की जाएगी। यह घटना गुरुवार शाम किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई, जिसमें वे अपनी उपज के लिए 3,500 रुपये प्रति टन की माँग कर रहे थे। रबकवी बनहट्टी तालुका स्थित एक फैक्ट्री की ओर जा रहे गन्ने से लदे कई ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों में कथित तौर पर उपद्रवियों द्वारा आग लगा दिए जाने के बाद बागलकोट के कुछ हिस्सों में तनाव व्याप्त हो गया।
सिद्धारमैया ने कहा, लगभग सभी किसानों ने 3,300 रुपये प्रति टन के गन्ने के खरीद मूल्य को स्वीकार कर लिया है। केवल मुधोल के किसान ही इससे सहमत नहीं हैं। उनके साथ बातचीत चल रही है। यहाँ पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, सरकार इस घटना की गहन जांच करेगी। उन्होंने आगे कहा, किसानों ने कहा है कि उन्होंने आग नहीं लगाई। मामले की जांच की जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी।
जब उनसे पूछा गया कि क्या विरोध प्रदर्शन के पीछे कोई राजनीतिक उकसावा है, तो मुख्यमंत्री ने कहा, भड़काऊ ज़रूर होगा। भाजपा के पास और कोई काम नहीं है। लोगों को भड़काना ही उनका काम है। उन्होंने मुधोल के किसानों से सरकार द्वारा तय 3,300 रुपये प्रति टन की कीमत स्वीकार करने और अपना विरोध वापस लेने का आग्रह किया।
गुरुवार की घटना के बाद, बागलकोट के उपायुक्त ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 163 लागू कर जमखंडी, मुधोल और रबकवी-बनहट्टी तालुकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी। आदेश में 13 नवंबर की रात 8 बजे से 16 नवंबर की सुबह 8 बजे तक प्रदर्शन, हड़ताल और जनसभाएँ आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।अधिकारियों ने बताया कि, गन्ना किसान 7 नवंबर से मूल्य निर्धारण और अन्य मांगों को लेकर जिले भर में सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
13 नवंबर को, उन्होंने महालिंगपुरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोदावरी (समीरवाड़ी) चीनी मिल का घेराव भी किया।जब किसान मिल के पास अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए थे, तभी कुछ उपद्रवियों ने कथित तौर पर गन्ना ले जा रहे ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों में आग लगा दी।
बागलकोट, मुधोल और आसपास के जिलों के गन्ना उत्पादक 3,500 रुपये प्रति टन के खरीद मूल्य की मांग कर रहे हैं।पिछले हफ्ते, राज्य सरकार ने 11.25 प्रतिशत रिकवरी दर के साथ गन्ने का मूल्य 3,300 रुपये प्रति टन तय किया था।बेलगावी और कई अन्य क्षेत्रों के किसानों ने जहाँ मूल्य को स्वीकार कर लिया और अपना विरोध वापस ले लिया, वहीं बागलकोट, हावेरी और कुछ अन्य जिलों के किसानों ने सरकार के फैसले को “भ्रामक” बताते हुए अपना आंदोलन जारी रखा।उन्होंने यह भी कहा कि, रिकवरी के स्तर के आधार पर मूल्य निर्धारित करना जोखिम भरा है।


















