पुणे : नेशनल कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन के प्रेसिडेंट हर्षवर्धन पाटिल ने केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से कहा की, शुगर फैक्ट्रीज़ की चीनी बनाने की लागत लगातार बढ़ रही है। इसलिए, शुगर इंडस्ट्री को राहत देने के लिए, चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस (MSP) 41 रुपये प्रति kg तय किया जाना चाहिए। साथ ही, एथेनॉल की कीमत बढ़ाने के साथ मौजूदा सीजन में एथेनॉल का कोटा 50 करोड़ लीटर और बढ़ाया जाना चाहिए।
बुधवार (19) को, नेशनल कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन ने देश में शुगर इंडस्ट्रीज की समस्याओं के बारे में केंद्र सरकार को एक डिटेल्ड लेटर सौंपा। हर्षवर्धन पाटिल ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, केंद्र सरकार ने 2025-26 के पेराई सीजन के लिए 15 लाख MT चीनी के एक्सपोर्ट की इजाज़त दी है। नेशनल शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन ने भी उस फैसले का स्वागत किया है। इस बारे में तुरंत एक रिलीज़ ऑर्डर जारी किया जाना चाहिए, ताकि चीनी मिलें एक्सपोर्ट चीनी की बिक्री के लिए समय पर इंतजाम कर सकती हैं।
हर्षवर्धन पाटिल ने बताया की, चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस छह साल से नहीं बढ़ाया गया है। लेकिन, दूसरी तरफ, गन्ने की FRP रकम हर साल बढ़ रही है। गन्ना किसानों को समय पर FRP रकम देने के लिए, चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस बढ़ाकर 41 रुपये प्रति kg किया जाना चाहिए। अगर चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस बढ़ता है, तो फैक्ट्रियों के पास रखे चीनी स्टॉक की वैल्यूएशन बढ़ जाएगी। इससे चीनी इंडस्ट्री को राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा, साल 2023-24, 2024-25 और 2025-26 में एथेनॉल की खरीद कीमत नहीं बढ़ाई गई है। अब इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम की 5 साल की अवधि खत्म हो गई है। इस वजह से डिस्टिलरी प्रोजेक्ट लगाने वाली फैक्ट्रियों पर इंटरेस्ट का बोझ बढ़ गया है। इसलिए, एथेनॉल, खासकर B-हैवी मोलासेस और जूस/सिरप बेस्ड एथेनॉल की कीमत बढ़ाई जानी चाहिए। इसी तरह, 5 लाख टन अतिरिक्त चीनी को एथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे लगभग 30 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जा सकेगा। हर्षवर्धन पाटिल ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि, इससे किसानों को समय पर अपने गन्ने के बिल का भुगतान करने में मदद मिलेगी।पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने उम्मीद जताई कि, केंद्र सरकार जल्द ही इन सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेगी।


















