सांगली: शिराळा तालुका के कापरी में गन्ने के खेत में बार-बार तेंदुए के दो बछड़े नजर आने से गन्ना कटाई मजदूरों गन्ना कटाई करते समय डरे हुए थे। इसलिए, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सुबह काम शुरू होने से लेकर शाम तक हर दिन गन्ने की कटाई करने वाले मजदूरों के साथ आठ कर्मचारियों को इलाके में तैनात किया था। लेकिन, सोमवार (8 तारीख) दोपहर को फिर से गन्ने में उसी तेंदुए के दो बछड़े मिले। इसलिए, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बछड़ों को सुरक्षित जगह पर रखने का निर्देश दिया। मजदूरों को बचा हुआ गन्ना काटकर तुरंत ले जाने का निर्देश दिया गया। इस बात का ध्यान रखा गया कि, आसपास के इलाके में फिर से भीड़ न लगे।सुरक्षा के तौर पर कापरी में गन्ने की कटाई 15 दिन के लिए रोक दी गई है।
कापरी (तहसील शिराला) में गन्ने के खेत में रह रहा एक तेंदुआ अपने दो बच्चों के साथ कापरी का जंगल छोड़ने को तैयार नहीं है। इसकी जानकारी मिलने पर असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स नवनाथ कांबले, फॉरेस्टर अनिल वाजे, फॉरेस्टर दत्तात्रय शिंदे, ‘सह्याद्री रेस्क्यू वॉरियर्स’ के फाउंडर सुशील कुमार गायकवाड़, एनिमल लवर धीरज गायकवाड, शिराला रेस्क्यू टीम ने गन्ना कटाई का काम खत्म होने के बाद शाम को अलग-अलग जगहों पर ट्रैप कैमरे लगाए। बछड़ों को पिंजरे में रखकर उनमें गर्म गीली घास डाली गई। असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स नवनाथ कांबले ने शाम करीब 7 बजे घटनास्थल का मुआयना किया। अधिकारी और एनिमल लवर ट्रैप कैमरे लगाने के बाद वहां से हट ही रहे थे, तभी मादा तेंदुआ कुछ ही पलों में बछड़ों को ले गई। फॉरेस्टर अनिल वाजे ने बताया कि, ऐसी घटना एक हफ्ते में चार बार हो चुकी है। तीन बार वे फिर से मिले हैं। संभावना है कि बछड़ों की वजह से मादा आक्रामक हो सकती है। इसलिए कापरी में गन्ने की कटाई 15 दिनों के लिए बंद कर दी गई है।


















