पाकिस्तान : संसदीय पैनल ने खराब निर्यात फैसलों और कीमतों में बढ़ोतरी के लिए गलत चीनी डेटा को जिम्मेदार ठहराया

इस्लामाबाद : डॉ. मिर्ज़ा इख्तियार बेग की अध्यक्षता वाले एक संसदीय पैनल ने यह निष्कर्ष निकाला है कि, पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन (PSMA) द्वारा दिए गए गलत चीनी उत्पादन और स्टॉक डेटा, साथ ही फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) और प्रांतीय गन्ना आयुक्तों से रियल-टाइम और विश्वसनीय जानकारी की कमी के कारण चीनी निर्यात के फैसले गलत हुए और कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई। बिज़नेस रिकॉर्डर में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस पैनल को चीनी की बढ़ती कीमतों के पीछे के कारणों की जांच करने और हाल के वर्षों में चीनी निर्यात या आयात की अनुमति देने वाले फैसलों के लिए जिम्मेदार संस्थाओं, व्यक्तियों या अधिकारियों की पहचान करने का काम सौंपा गया था।

पैनल की फाइंडिंग्स के अनुसार, एस-ट्रैक मॉनिटरिंग पोर्टल में रुकावटों के कारण चीनी की आवाजाही ट्रैक नहीं हो पाई, जिससे बाजार में हेरफेर और रिटेल स्तर पर मुनाफाखोरी के लिए जगह बनी। इसने कहा कि, नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट चुनिंदा तरीके से जारी करने से गड़बड़ियां हुईं, जबकि अत्यधिक प्रशासनिक नियंत्रणों का दुरुपयोग किया गया। पैनल ने यह भी पाया कि, कीमत तय करने के मामले में PSMA के साथ सरकारी जुड़ाव ने कार्टेल जैसे व्यवहार को प्रभावी ढंग से वैधता दी।इसने उस समय पर्याप्त घरेलू उपलब्धता के संकेतों के बावजूद चीनी आयात करने के फैसले पर सवाल उठाया।

पाकिस्तान प्रतिस्पर्धा आयोग (CCP) ने पैनल को चीनी क्षेत्र में अपने पिछले और चल रहे हस्तक्षेपों के बारे में जानकारी दी।आयोग ने कहा कि, उसने अपनी स्थापना के बाद से कई जांचें की हैं, 44 अरब रुपये का जुर्माना लगाया है, और 2018 में एक व्यापक क्षेत्र अध्ययन सहित नीतिगत सिफारिशें जारी की हैं। 2025 में चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद, जब कीमतें लगभग 120 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 200 रुपये से ऊपर हो गईं, तो CCP ने एक विस्तृत जांच शुरू की। इसने पैनल को बताया कि नवंबर 2023 और जनवरी 2025 के बीच छह चरणों में निर्यात की मंजूरी दी गई थी, जो शुगर एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिशों पर आधारित थी, जिसने PSMA द्वारा प्रदान किए गए उत्पादन और स्टॉक डेटा पर भरोसा किया था। जनवरी 2025 में 500,000 मीट्रिक टन की अंतिम मंजूरी को घरेलू कमी में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक माना गया।

CCP ने कहा कि, PSMA ने चीनी उत्पादन को लगभग 1.33 मिलियन मीट्रिक टन बढ़ा-चढ़ाकर बताया और गलत कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक के आंकड़े दिए, जिससे गलत डेटा के आधार पर कई निर्यात मंजूरियां दी गईं। इसने आगे कहा कि सटीक स्टॉक जानकारी के लिए FBR से बार-बार अनुरोध करने पर भी आवश्यक डेटा नहीं मिला, जबकि प्रांतीय गन्ना आयुक्तों की रिपोर्टिंग में भी निरंतरता नहीं थी। 2025 के लिए संभावित मार्केट में गड़बड़ी और पेनल्टी की एक नई जांच अभी चल रही है।पैनल के कन्वीनर ने बताया कि, 2025 में रियल-टाइम डेटा की कमी के कारण कार्टेलाइज़ेशन और सप्लाई रोकने के शक वाली मिलों के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं हो पाई।

कमेटी ने कई तरह के सुझाव दिए, जिनमें FBR, केन कमिश्नर, CCP और संबंधित मंत्रालयों को जोड़ने वाला एक इंटीग्रेटेड, रियल-time डेटा-शेयरिंग सिस्टम बनाना; स्वतंत्र आकलन के ज़रिए एक्सपोर्ट फैसलों को वेरिफाई करना; हर समय कम से कम 540,000 मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाए रखना; और गुमराह करने वाला डेटा देने वाले अधिकारियों या संस्थानों की जवाबदेही तय करना शामिल है। अन्य प्रस्तावों में गड़बड़ियों को कम करने के लिए चीनी सेक्टर का धीरे-धीरे डीरेगुलेशन, ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ पाकिस्तान की खरीद के लिए साफ नियम, पिछले इंपोर्ट फैसलों का ऑडिट, CCP के लिए मज़बूत कानूनी अधिकार, प्रांतों द्वारा समय पर पेराई लागू करना, और रिटेल में मुनाफाखोरी के खिलाफ कार्रवाई शामिल है। पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि बार-बार होने वाले चीनी संकट को रोकने के लिए डीरेगुलेशन ही एकमात्र टिकाऊ लॉन्ग-टर्म समाधान है।

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