प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण गन्ना किसान चिंतित

जालंधर: बिहार में covid -19 मामलों में हो रही वृद्धि पंजाब के जालंधर जिले के गन्ना किसानों को परेशान कर रही है, क्योंकि गन्ना फसल की बुवाई प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है। किसानों ने कहा कि, प्रवासी मजदुर के विकल्प जैसे कि स्थानीय मजदूर और प्रत्यक्ष बीजारोपण तकनीक ने उन्हें धान की बुवाई करने में मदद की, लेकिन गन्ने के मामले में यह विकल्प काम नही आ रहे है। भारतीय किसान यूनियन (Doaba) के अध्यक्ष मंजीत राय ने कहा, किसानों ने धान की बुवाई और फिर रोपाई करने के लिए हर माध्यम को अपनाया। उन्होंने स्थानीय मजदूरों से भी मदद ली, लेकिन यह गन्ने के मामले में उपयोगी नहीं होगा।

उन्होंने कहा, गन्ना बुआई की पूरी प्रक्रिया प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है और स्थानीय श्रमिक इस प्रक्रिया को सही तरीके से अंजाम नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि, बिहार में covid -19 के मामलों में वृद्धि के साथ, अफवाहें फैल रही थीं कि राज्य में पूर्ण तालाबंदी लागू की जाएगी, जिससे किसानों का टेंशन बढ़ गया था।किसानों का कहना है कि, वह बिहार में अपने मजदूरों के संपर्क में है। बिहार में स्थिति गंभीर हो गई है, और अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे वापस नहीं आ सकते। नकोदर के एक किसान सुखवंत सिंह ने कहा कि, ऐसा लगता है कि हमें मजदूरों की कमी की समस्या से छुटकारा नहीं मिलेगा। गन्ने की बुवाई का मौसम है और मजदूरों की कमी है। हमें नहीं पता कि हम कैसे प्रबंधन करेंगे।

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