पुणे: राज्य की शुगर फैक्ट्रियों के लिए यह जरूरी है कि वे पेराई के 14 दिनों के अंदर किसानों को गन्ने का मिनिमम फेयर एंड रिमुनरेटिव प्राइस (FRP) दें। अगर फैक्ट्रियां तय समय में FRP पेमेंट नहीं करती हैं, तो उन्हें कानून के मुताबिक देरी के समय के लिए 15 परसेंट ब्याज के साथ गन्ने का बिल देना होगा, शुगर कमिश्नर डॉ. संजय कोलते ने सभी शुगर फैक्ट्रियों को चेतावनी दी है।
कमिश्नर डॉ. संजय कोलते ने राज्य की कोऑपरेटिव और प्राइवेट शुगर फैक्ट्रियों को ये निर्देश स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी के 10 दिसंबर, 2025 के ज्ञापन, मोहोल (सोलापुर ज़िला) के प्रभाकर देशमुख के 28 नवंबर, 2025 के ज्ञापन और शुगर कमिश्नरेट की स्टैटिस्टिक्स ब्रांच की 30 नवंबर, 2025 की FRP की हर दो हफ़्ते में आने वाली रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए दिए हैं।
उन्होंने कहा है की, शुगरकेन (कंट्रोल) ऑर्डर, 1966 के नियमों के मुताबिक, अगर FRP पेमेंट कानून के तहत तय 14 दिन के समय में नहीं किया जाता है, तो देरी के समय के लिए 15 परसेंट ब्याज लगाने का नियम है। शुगर कमिश्नरेट की स्टैटिस्टिक्स ब्रांच की रिपोर्ट का रिव्यू करने पर पता चला कि, राज्य में अब तक 163 शुगर फैक्ट्रियों ने गन्ने की पेराई की है। इनमें से 34 शुगर फैक्ट्रियों ने तय समय में गन्ना किसानों के गन्ने के बिल का पेमेंट कर दिया है। जबकि 129 शुगर फैक्ट्रियों पर अभी भी गन्ने के बिल बकाया हैं।
यह देखा गया है कि इन फैक्ट्रियों ने शुगरकेन कंट्रोल ऑर्डर 1966 के नियमों का उल्लंघन किया है। बकाया गन्ने के बिलों के बारे में कार्रवाई करने के लिए राज्य के अलग-अलग किसान संगठनों से ज्ञापन मिल रहे हैं। उस संदर्भ में शुगर कमिश्नर द्वारा दिए गए निर्देश अहम हैं।

















