कृषि वैज्ञानिक अब प्रयोगशालाओं में ही नहीं, बल्कि ज़मीन पर भी काम करेंगे: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

रामपुर (उत्तर प्रदेश): केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामपुर में “चौपाल पे चर्चा” के जरिए किसानों से बातचीत की, जहां उन्होंने शोध, उर्वरक वितरण और कृषि इनपुट की गुणवत्ता से जुड़ी चिंताओं को संबोधित किया। चौहान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि, कृषि शोध अब प्रयोगशालाओं या दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, हमारे 16,000 वैज्ञानिक किसानों के बीच काम करेंगे ताकि शोध वास्तविक समय की चुनौतियों के साथ संरेखित हो सके।

उन्होंने कहा कि, वैज्ञानिक रबी सीजन के दौरान किसानों के साथ कम से कम 15 दिन बिताएँगे। तरल उर्वरकों की जबरन बिक्री से जुड़ी शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए चौहान ने कहा, कोई भी दुकानदार किसानों को कोई ख़ास उर्वरक खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। इस तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए कानूनी तंत्र स्थापित किए जाएँगे।उन्होंने घटिया बीज, कीटनाशक और उर्वरकों के बारे में किसानों की शिकायतों को भी संबोधित किया।

चौहान ने कहा कि, सरकार कीटनाशक अधिनियम और बीज अधिनियम के तहत सख्त कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, ताकि नकली या कम गुणवत्ता वाले उत्पाद बेचने वाली कंपनियों के लिए कठोर दंड सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा, हम किसानों को धोखा देने वाली किसी भी कंपनी को नहीं छोड़ेंगे। मंत्री ने कहा कि, नैनो यूरिया जैसे नैनो उर्वरकों को मंजूरी से पहले सख्त वैज्ञानिक परीक्षण से गुजरना होगा।

उन्होंने कहा, केवल वही उत्पाद बाजार में आने की अनुमति दी जाएगी जो स्वीकृत सांद्रता मानकों को पूरा करते हैं।किसानों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए चौहान ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हम किसानों की समृद्धि और कृषि के विकास को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके बिना हम एक विकसित भारत का निर्माण नहीं कर सकते। उन्होंने किसानों की कठिनाइयों को समझने के लिए हर हफ्ते दो दिन सीधे उनके बीच बिताने का भी संकल्प लिया और कहा कि कृषि विभाग की टीमें नियमित रूप से खेतों में तैनात रहेंगी।

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