डेनवर (कोलोराडो) : कम कार्ब वाली आइसक्रीम से लेकर कीटो प्रोटीन बार और “शुगर-फ्री” सोडा तक, दशकों पुराना स्वीटनर एरिथ्रिटोल हर जगह मौजूद है। लेकिन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के नए शोध से पता चलता है कि, इस लोकप्रिय चीनी विकल्प और विशेष खाद्य योज्य के गंभीर नुकसान हैं, जो मस्तिष्क कोशिकाओं पर कई तरह से प्रभाव डालते हैं जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजियोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।इंटीग्रेटिव फिजियोलॉजी के प्रोफेसर और इंटीग्रेटिव वैस्कुलर बायोलॉजी लैब के निदेशक, वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोफर डिसूजा ने कहा, हमारा अध्ययन उन सबूतों को पुष्ट करता है जो बताते हैं कि गैर-पोषक स्वीटनर, जिन्हें आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाले बिना नहीं आ सकते है।
2001 में खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा पहली बार अनुमोदित, एरिथ्रिटोल एक शुगर अल्कोहल है, जो अक्सर मक्के के किण्वन द्वारा बनाया जाता है और सैकड़ों उत्पादों में पाया जाता है। इसमें लगभग नगण्य कैलोरी होती है, यह चीनी की तुलना में लगभग 80% मीठा होता है, और इंसुलिन के स्तर पर इसका प्रभाव नगण्य होता है, जिससे यह वज़न कम करने, रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने या कार्बोहाइड्रेट से बचने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए पसंदीदा बन जाता है।लेकिन हाल के शोधों ने इसके जोखिमों पर प्रकाश डालना शुरू कर दिया है।
अमेरिका और यूरोप में 4,000 लोगों पर किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि, जिन पुरुषों और महिलाओं में एरिथ्रिटोल का स्तर अधिक होता है, उन्हें अगले तीन वर्षों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की संभावना काफी अधिक होती है। डिसूज़ा और उनके प्रयोगशाला के स्नातक छात्र, जो पहले लेखक ऑबर्न बेरी हैं, ने यह समझने की कोशिश की कि इस बढ़े हुए जोखिम का कारण क्या हो सकता है।प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं की परत बनाने वाली मानव कोशिकाओं का तीन घंटे तक लगभग उतनी ही मात्रा में एरिथ्रिटोल से उपचार किया, जितनी एक सामान्य चीनी-मुक्त पेय में होती है।
उन्होंने देखा कि, उपचारित कोशिकाओं में कई तरह से परिवर्तन हुए: उनमें नाइट्रिक ऑक्साइड, जो रक्त वाहिकाओं को शिथिल और चौड़ा करता है, काफी कम और एंडोथेलिन-1, जो रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने वाला प्रोटीन है, काफी ज़्यादा उत्पादन हुआ। इस बीच, जब थ्रोम्बिन नामक थक्का बनाने वाले यौगिक से चुनौती दी गई, तो प्राकृतिक थक्का-भंजन यौगिक टी-पीए का कोशिकीय उत्पादन “काफ़ी कम” हो गया। एरिथ्रिटोल से उपचारित कोशिकाओं ने अधिक प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियाँ (आरओएस), जिन्हें “मुक्त मूलक” भी कहा जाता है, चयापचय उपोत्पाद भी उत्पन्न किए, जो कोशिकाओं को बूढ़ा कर सकते हैं, उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं और ऊतकों में सूजन पैदा कर सकते हैं।
बेरी ने कहा, बड़ी बात यह है कि अगर आपकी वाहिकाएँ ज़्यादा संकुचित हैं और रक्त के थक्कों को तोड़ने की आपकी क्षमता कम है, तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हमारा शोध न केवल यह दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एरिथ्रिटोल स्ट्रोक के खतरे को कैसे बढ़ा सकता है। डिसूज़ा ने बताया कि, उनके अध्ययन में चीनी के विकल्प की केवल एक सर्विंग-आकार की मात्रा का ही इस्तेमाल किया गया था। जो लोग प्रतिदिन कई सर्विंग्स का सेवन करते हैं, उनके लिए संभवतः इसका प्रभाव और भी बुरा हो सकता है।
लेखक आगाह करते हैं कि, उनका अध्ययन एक प्रयोगशाला अध्ययन था, जो कोशिकाओं पर किया गया था, और लोगों पर बड़े पैमाने पर अध्ययन की आवश्यकता है। इसके बावजूद, डीसूज़ा उपभोक्ताओं को लेबल पढ़ने और लेबल पर एरिथ्रिटोल या “शुगर अल्कोहल” की जाँच करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा, हमारे काम को प्रेरित करने वाले महामारी विज्ञान अध्ययन और अब हमारे कोशिकीय निष्कर्षों को देखते हुए, हमारा मानना है कि लोगों के लिए इस तरह के गैर-पोषक तत्व-रहित स्वीटनर के सेवन पर नज़र रखना समझदारी होगी।