जमुई : जो इलाका कभी ‘पलायन के कलंक’ से जुड़ा था, वह अब ‘इंडस्ट्री हब’ बनने की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि एशिया का सबसे बड़ा अनाज-आधारित एथेनॉल प्लांट बिहार के जमुई में आकार ले रहा है। कहा जा रहा है कि, यह प्लांट न सिर्फ हजारों युवाओं के लिए नौकरियां पैदा करेगा, बल्कि किसानों की इनकम भी बढ़ाएगा।
हिंदुस्तान टाइम्स (HT) में प्रकाशित खबर के अनुसार, चकई ब्लॉक के उर्वा गांव में 105 एकड़ में फैला यह प्लांट अंकुर बायोकेम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भारत के EBP (एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल) प्रोग्राम के तहत लगाया जा रहा है। इसकी बड़ी क्षमता 750 KLPD (किलो लीटर प्रति दिन) है, जिसका मकसद लोकल इकॉनमी को बढ़ावा देना, भारत के ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों को पूरा करना, रोजगार पैदा करना और चावल और मक्का जैसे लोकल अनाज खरीदकर किसानों की मदद करना है।
EBP प्रोग्राम केंद्र सरकार की पहल है, जिसके तहत पेट्रोल में एथेनॉल मिलाया जाता है, ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा दिया जाता है, कच्चे तेल के इंपोर्ट में कटौती की जाती है, सरप्लस फसलों का इस्तेमाल करके किसानों की इनकम बढ़ाई जाती है और एनर्जी सिक्योरिटी को बढ़ाया जाता है। यह प्लांट इको-फ्रेंडली है और खुद ही 20 MW बिजली पैदा करेगा। उम्मीद है कि, यह 7.5 लाख लीटर एथेनॉल बनाने के लिए 30,000 क्विंटल अनाज का इस्तेमाल करेगा और जमुई के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
कंपनी के अधिकारियों ने HT को बताया, जमुई के किसानों को पहली प्राथमिकता दी जाएगी और उसके बाद हम दूसरे जिलों के किसानों के पास जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि, इससे किसानों की इनकम बढ़ाने में मदद मिलेगी, क्योंकि उन्हें अपनी उपज के लिए सही दाम मिल पाएंगे। प्लांट मैनेजर कमलाकांत दान ने कहा कि, अगले साल मार्च-अप्रैल से रोजगार अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, हमारा फोकस लोकल युवाओं को प्राथमिकता देना है और अगर हमें लोकल लोग नहीं मिलेंगे, तभी हम दूसरे जिलों के युवाओं को भर्ती करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, अभी प्लांट के निर्माण में लगभग 300 लोग लगे हुए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि, यह प्लांट इस क्षेत्र में नौकरियों और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट के नए रास्ते खोलेगा। उन्होंने कहा कि, एथेनॉल के बाय-प्रोडक्ट का इस्तेमाल जानवरों के चारे के रूप में किया जाएगा। खास बात यह है कि, ₹105 करोड़ की लागत से बना बिहार का पहला अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट, जिसे ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड ने पूर्णिया जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर परोरा में स्थापित किया है, का उद्घाटन अप्रैल 2022 में CM नीतीश कुमार ने किया था। यह प्लांट अनाज से रोजाना 65 KLPD एथेनॉल का उत्पादन करता है, जिससे ग्रीन एनर्जी और किसानों को मदद मिलती है। 15 एकड़ में फैले इस प्लांट की क्षमता रोजाना 130 टन चावल की भूसी और 145-150 टन मक्का किसानों से खरीदने की है।
बिहार ने 2021 के पहले छमाही में एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति पेश की थी और राज्य में 17 एथेनॉल उत्पादन प्लांट चालू हैं, जो गन्ने, शीरा, मक्का और टूटे चावल का इस्तेमाल करके हर साल 30 करोड़ लीटर से ज़्यादा ईंधन का उत्पादन करते हैं।एथेनॉल को पेट्रोल और डीजल में मिलाने के लिए तेल मार्केटिंग कंपनियों को सप्लाई किया जाता है।
EBP कार्यक्रम के तहत बिहार में 22 चालू एथेनॉल डिस्टिलरी हैं, जिनमें 8 शीरा-आधारित और 14 अनाज-आधारित हैं। कई और प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य में कई नए इथेनॉल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।


















