भारतीय मजदूर संघ और लघु उद्योग भारती केंद्र ने किया जीएसटी सुधारों का समर्थन

नई दिल्ली : भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा कि, सरकार द्वारा शुरू किए गए नए जीएसटी सुधार जन-हितैषी और आम आदमी-केंद्रित कर ढांचे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। बीएमएस ने एक बयान में कहा कि, अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था नागरिकों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों पर कर लगाने पर बहुत ज्यादा निर्भर थी। अगली पीढ़ी के सुधारों के ज़रिए अब इस प्रवृत्ति को उलट दिया गया है। इन सुधारों में मुख्य रूप से दो-दर वाली जीएसटी प्रणाली लागू की गई है जिसका उद्देश्य लोगों पर कर का बोझ कम करना है, जबकि उच्च आय वर्ग द्वारा उपभोग की जाने वाली विलासिता की वस्तुओं पर ज्यादा कर लगाया गया है।

आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने श्रम-प्रधान उद्योगों, आवश्यक दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं, सीमेंट, खाद्य पदार्थों, बीमा पॉलिसियों सहित स्वास्थ्य सेवा उत्पादों, शैक्षिक सामग्री, कृषि मशीनरी और अन्य इनपुट, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मध्यम वर्ग द्वारा आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली अन्य वस्तुओं पर करों में कमी का स्वागत किया है। बीएमएस के महासचिव रवींद्र हिमटे ने एक बयान में कहा, हमें उम्मीद है कि बीमा कंपनियाँ और अन्य कंपनियाँ रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं की कीमतें कम करके इन लाभों को आम आदमी तक तुरंत पहुँचाएँगी।

जीएसटी परिषद ने बुधवार को गहन विचार-विमर्श के बाद कई क्षेत्रों में दरों में उल्लेखनीय कटौती को मंजूरी दे दी, जिसे सरकार ने देश के लिए दिवाली का तोहफा बताया है। ज़रूरी वस्तुओं के मोर्चे पर, रोजमर्रा के घरेलू इस्तेमाल की वस्तुओं की कीमतें अब कम होंगी। 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दरों को मिलाकर जीएसटी दरों को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्लैब में तर्कसंगत बनाने का फ़ैसला किया गया।

इसी तरह, लघु उद्योग भारती (एलयूबी) भी ऐतिहासिक जीएसटी 2.0 सुधारों का तहे दिल से स्वागत करती है।22 सितंबर 2025 से प्रभावी 5% और 18% की तर्कसंगत दर स्लैब, भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक परिवर्तनकारी बदलाव का प्रतीक हैं। लघु उद्योग भारती ने कहा, हम इस बहुप्रतीक्षित सुधार को लागू करने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के विवेकपूर्ण मार्गदर्शन की सराहना करते हैं। कर दरों को सुव्यवस्थित करने का निर्णय, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि वित्त मंत्रालय अल्पकालिक राजस्व हानि को वहन करे, आर्थिक विकास, उपभोक्ता कल्याण और राष्ट्रहित के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह सुधार वास्तव में अभूतपूर्व है। यह केवल दरों को युक्तिसंगत बनाने से कहीं आगे जाता है और विशेष रूप से सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए व्यापार को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ी प्रगति का संकेत देता है। कम कार्यशील पूंजी की आवश्यकता, अधिक किफायती कच्चे माल और व्यापक बाजार तक पहुँच से लघु उद्योगों को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। लघु उद्योग भारती इस सुधार के सुचारू और समय पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को अपना पूर्ण समर्थन देने का वचन देता है।

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