बक्सर : अनुमंडल के दक्षिणी इलाके में गन्ना फसल पर टिड्डी कीटों का हमला हुआ है। कफी मेहनत और लगन से फसल उगाने वाले किसानों को इससे नुकसान हो रहा है। टिड्डा कीट रस चूसकर पौधों को ठूंठ बना रहे हैं, जिससे फसल के पूरी तरह बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे किसानों में हड़कंप मच गया है।अगर गन्ना उत्पादन घटता है, तो इसका सीधा असर गुड़ निर्माण उद्योग पर भी दिखाई देने की संभावना है।
जागरण में प्रकाशित खबर के मुताबिक, किसानों ने बताया कि इस बार सैकड़ों एकड़ में गन्नें की खेती की गई थी, लेकिन गर्मी की मार और अब कीट प्रकोप ने हालात बिगाड़ दिए हैं। आमसारी, कोन्ही और बनजरिया समेत अन्य गांवों में टिड्डा कीटों से फसल नष्ट हो रही है और पौधों की वृद्धि रुक गई है। किसानों द्वारा फसल को बचाने के लिए निजी सिंचाई संसाधनों का सहारा लिया जा रहा है।
पहले ही सिंचाई की कमी से फसल को नुकसान हुआ और अब टिड्डियों ने स्थिति और बिगाड़ दी है। किसानों का कहना है कि गन्ने की पत्तियां पहले ही सूखने लगी हैं, जिससे फसल की बचाव की उम्मीद भी क्षीण हो गई है। काफी खर्च कर फसल बचाने के बाद अब कीटों का हमला उनके लिए बड़ी परेशानी बन गया है।
जिला कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ.देवकरण ने कहा कि, टिड्डा एक स्पर्शनाशी कीट है जो फसलों को भारी नुकसान पहुंचाता है। इसके प्रभावी रोकथाम हेतु सुबह के समय मिथाइल पैराथियान पाउडर का छिड़काव लाभदायक होता है। यदि प्रकोप अधिक हो, तो क्लोरोपाइरीफास नामक लिक्विड दवा 60-70 मिली को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। दवा का छिड़काव पहले खेत की सीमाओं पर और फिर मध्य में करें, जिससे टिड्डियों का समूल नाश संभव हो सके। उचित दवा उपयोग से फसलें सुरक्षित रहती हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है।