नई दिल्ली : एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ और भू-राजनीतिक संघर्षों के कारण बढ़ती वैश्विक नीति अनिश्चितता के चलते दुनिया भर के व्यवसाय महत्वपूर्ण निवेश के फैसले लेने से हिचकिचा रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि, वैश्विक आर्थिक नीति अनिश्चितता सूचकांक,जो वैश्विक नीति निर्माण से जुड़ी चिंताओं को दर्शाता है, अप्रैल 1997 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। यह सूचकांक, जिसे वर्तमान मूल्य जीडीपी भारों का उपयोग करके समायोजित किया जाता है, हाल के महीनों में, विशेष रूप से अप्रैल 2025 में, तेजी से ऊपर की ओर रुझान दिखा रहा है। सूचकांक अब 600 के स्तर को पार कर गया है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में अत्यधिक उच्च स्तर की अनिश्चितता का संकेत देता है।
एसबीआई की रिपोर्ट इस प्रवृत्ति के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में वैश्विक घटनाओं और नीतिगत अनिश्चितता के मिश्रण की ओर इशारा करती है। रिपोर्ट में कहा गया है, भू-राजनीतिक तनावों और व्यापार वार्ता में रुकावटों के बीच वैश्विक अनिश्चितता बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, हालांकि हाल ही में अनिश्चितता में कुछ कमी आई है, फिर भी यह पिछले दशक की तुलना में काफी ज्यादा है। एक बड़ी चिंता यह है कि प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ व्यापार वार्ता कैसे आगे बढ़ेगी। संभावित जवाबी कार्रवाई और क्या सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में लागू कुछ शुल्कों को अमान्य कर सकता है, इस बारे में भी अनिश्चितता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, बढ़ती अनिश्चितता व्यवसायों को सतर्क कर रही है। कई कंपनियां प्रतिकूल नीतिगत बदलावों या भू-राजनीतिक झटकों के डर से अपनी निवेश योजनाओं में देरी कर रही हैं या उन पर पुनर्विचार कर रही हैं।हाल के वर्षों में हुई प्रमुख वैश्विक घटनाओं ने संदेह के इस माहौल को और बढ़ा दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का पहला दौर, ब्रेक्जिट, कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में चल रहे तनाव, इन सभी ने अनिश्चितता सूचकांक को बढ़ाने में भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि, व्यावसायिक धारणा में गिरावट अक्सर पूंजीगत व्यय गतिविधियों में कमी के साथ होती है। सरकारी बुनियादी ढांचे पर ज़ोर कम हो रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि, टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक विकास में मंदी का खतरा भी है। इसमें कहा गया है, भले ही टैरिफ सार्थक तरीके से लागू न हों, लेकिन इससे होने वाला खतरा और अनिश्चितता वैश्विक व्यापार चक्र को प्रभावित करेगी। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि, जब तक वैश्विक नीति-निर्माण और व्यापार संबंधों में अधिक स्पष्टता नहीं होगी, तब तक व्यवसायों द्वारा साहसिक निवेश कदम उठाने में हिचकिचाहट बनी रहेगी।