केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल में 30% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य: आईसीएआर-आईआईएमआर निदेशक

लुधियाना (पंजाब) : वैज्ञानिक और लागत-कुशल तरीकों से मक्का की उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के निदेशक डॉ. एचएस जाट ने बुधवार को कहा कि, केंद्र सरकार का लक्ष्य 2030 तक पेट्रोल में 30 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण (E 30) प्राप्त करना है, जिसमें मक्का एक प्रमुख फीडस्टॉक के रूप में उभर रहा है।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जाट ने आईसीएआर-आईआईएमआर में ‘एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन बढ़ाना’ परियोजना के तहत आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला में कहा की, भारत को 2030 तक E30 मिशन को प्राप्त करने के लिए हर साल 8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर से 65-70 मिलियन टन मक्का उत्पादन प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए उच्च उत्पादकता वाले संकर और मशीनीकरण आवश्यक हैं। जाट ने इस दिशा में क्षेत्र-आधारित नवाचारों और किसानों की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

संस्थान ने एक बयान में कहा कि, देश के 15 राज्यों के 78 जिलों में कार्यरत परियोजना के कुल 27 क्षेत्रीय कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रतिभागियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में हुई प्रगति, जिसमें सफल क्षेत्रीय हस्तक्षेप, किसानों की भागीदारी में वृद्धि और उन्नत मक्का उत्पादन तकनीकों के बारे में बताया।

कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए, मक्का के प्रमुख अन्वेषक डॉ. एसएल जाट ने कहा, परियोजना का मुख्य लक्ष्य मक्का की उत्पादकता में सुधार के माध्यम से एथेनॉल उत्पादन के लिए स्थिर कच्चा माल उपलब्ध कराना है। उन्होंने क्षेत्रीय वैज्ञानिकों और क्षेत्रीय कर्मचारियों के बीच समन्वय और अनुभव-साझाकरण को बढ़ावा देने की बात कही। संस्थान ने कहा कि, मक्का से प्रति टन लगभग 380 लीटर एथेनॉल प्राप्त किया जा सकता है, जिससे यह गन्ने के साथ एथेनॉल उत्पादन के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बन जाता है।

संस्थान ने कहा कि, 2023-24 में भारत में मक्के का कुल क्षेत्रफल लगभग 10.5 मिलियन हेक्टेयर होगा, जबकि औसत उत्पादकता 3.1 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई है। मक्के का उपयोग अब केवल पशु आहार और उद्योग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एथेनॉल उत्पादन के लिए एक वैकल्पिक फसल के रूप में उभर रहा है। मक्के से प्रति टन लगभग 380 लीटर एथेनॉल प्राप्त किया जा सकता है, जिससे यह गन्ने के साथ-साथ एथेनॉल उत्पादन के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बन जाता है।

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