नई दिल्ली : गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और आटे की खुदरा कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही अपने अधिशेष गेहूं को अलग-अलग राज्यों में छोटी-छोटी किस्तों में बेच सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक आटा मिल मालिकों ने सरकार से कहा है कि, उनके पास एक से दो महीने का ही स्टॉक है। गेहूं के व्यापारी कथित तौर पर आने वाले महीनों में गेहूं के बड़े भंडार को ऊंचे दामों पर बेचने के लिए बैठे हैं। टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि, 20.5 मिलियन टन के बफर स्टॉक की आवश्यकता के मुकाबले, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास 22.7 मिलियन टन का अधिशेष है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने टीओआई को बताया, हमने सरकार से खुले बाजार में अपने स्टॉक से लगभग 40 लाख टन गेहूं उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। उनके पास आवश्यक बफर स्टॉकिंग मानदंड से अधिक गेहूं है, और बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ती कीमतों को कम करेगी। 1 अप्रैल 2023 के लिए अनुमानित स्टॉक 11.3 मिलियन टन है। बफर स्टॉक की आवश्यकता 7.5 मिलियन टन है। सरकार द्वारा अधिशेष गेहूं को बेचने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।















