हुबली (कर्नाटक) : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को कहा, मक्के की कीमतों में गिरावट या बाजार में दखल देकर उनकी खरीद में देरी के लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार नहीं हैं।यह राज्य सरकार है जो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह से नाकाम रही है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार ने किसानों और गरीबों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है, क्योंकि वह अपनी राजनीतिक लड़ाई में व्यस्त है। कांग्रेस के नेता आपसी लड़ाई में व्यस्त हैं। उन्होंने अपनी गुटबाजी में मक्का किसानों के हितों की कुर्बानी दी है। राज्य सरकार के निष्क्रिय होने से मक्का किसानों की समस्या और बिगड़ गई है।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार की अपनी तरफ से सभी जिम्मेदारियां हैं। उसने गन्ने और मक्के की खेती, खरीद और इस्तेमाल के संबंध में किसानों के हक में पॉलिसी की घोषणा की है। यह आरोप कि केंद्र सरकार की एक्सपोर्ट-इंपोर्ट, फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस या इंडस्ट्रियल इस्तेमाल की पॉलिसी की वजह से मक्के की कीमतें गिरी हैं या गन्ने की कीमतें फायदेमंद नहीं हैं, पूरी तरह से गलत हैं। हमने चीनी फैक्ट्रियों, गन्ना उगाने वालों और मक्के को हर तरह की मदद दी है। इसे लागू करना राज्य सरकार का काम है।
केंद्र ने एथेनॉल प्रोडक्शन की इजाज़त दी है और गन्ने और एथेनॉल के लिए अच्छी कीमतों की घोषणा की है। हमने मार्केट में दखल के लिए मक्के की अच्छी खरीद कीमत की भी घोषणा की है। कुछ राज्यों में मक्का मुख्य खाने के तौर पर भी खाया जाता है। केंद्र ने न सिर्फ़ राज्यों को मक्का खरीदने की इजाज़त दी है, बल्कि ₹42 प्रति kg का सपोर्ट प्राइस भी अनाउंस किया है। ऐसे में, राज्य सरकार को यह पक्का करना चाहिए कि एथेनॉल प्रोडक्शन के लिए सपोर्ट प्राइस पर मक्का खरीदा जाए। लेकिन राज्य सरकार खरीद नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, यह साफ है कि राज्यों में डिस्टिलरी को एक्साइज डिपार्टमेंट रेगुलेट करता है और उन पर ठीक से नज़र रखने की ज़रूरत है। राज्य सरकार हर चीज़ के लिए केंद्र को दोष नहीं दे सकती।


















