नई दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह (Direct tax collections) में, सकल रूप से, 2025-26 तक अब तक साल-दर-साल 3.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो 6.64 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। 2024-25 की इसी अवधि में यह 6.44 लाख करोड़ रुपये था।कलेक्शन में यह वृद्धि कॉर्पोरेट कर राजस्व और प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) प्राप्तियों में वृद्धि के कारण है।
प्रत्यक्ष कर वे कर हैं जो व्यक्ति और व्यवसाय सीधे सरकार को देते हैं। इनमें आयकर, कॉर्पोरेट कर और प्रतिभूति लेनदेन कर शामिल हैं। संपत्ति कर सहित अन्य कर 1,422 करोड़ रुपये से घटकर 273 करोड़ रुपये रह गए। रिफंड को शामिल करने के बाद,जिसमें भी 38.01 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, 2025-26 में अब तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 1.01 लाख करोड़ रुपये रहा।
कर संग्रह में वृद्धि भारत की राजकोषीय स्थिति के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह सरकार के राजस्व आधार को मजबूत करता है और उधार पर निर्भरता को कम करता है। यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद आर्थिक लचीलेपन का भी संकेत देता है। उच्च कर राजस्व सरकार को बुनियादी ढांचे, सामाजिक कल्याण और अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाने में सक्षम बना सकता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।