नई दिल्ली : चीनी मंडी
इंडोनेशियाई मीडिया में रिपोर्ट्स के बाद भारत के खाद्य तेल उद्योग को हिलाकर रख दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने भारत से कच्चे चीनी के निर्यात के बदले इंडोनेशिया से रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क कम करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इंडोनेशियाई व्यापार मंत्री एंगगार्टिस्टो लुकोटा के हवाले से कहा गया है कि, भारत इंडोनेशिया से पामोलीन तेल पर आयात शुल्क कम करने पर सहमत हो गया है, और इंडोनेशिया भारत से उच्च गुणवत्ता वाली कच्ची चीनी का आयात करेगा। इस खबर की अब तक पुस्टि नहीं हो पायी है।
भारत अधिशेष चीनी के कारण संघर्ष कर रहा है, और अगले सीजन में 140 लाख टन ओपनिंग स्टॉक का अनुमान है। इतनी बड़ी मात्रा भारत की छह महीने की चीनी की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इस खबर ने चीनी उद्योग को खुश कर दिया है जो देश से अधिशेष स्टॉक को बाहर करने के लिए कई रास्ते खोज रहा है, क्योंकि सरकार ने उन्हें अगले सीजन में 60 लाख टन निर्यात करने के लिए सब्सिडी दी है।
केंद्र सरकार ने मलेशियाई पामोलीन तेल पर 45 प्रतिशत और इंडोनेशिया से आयात करते समय 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया हुआ है। हालांकि, भारतीय किसानों की सहायता करने के लिए पिछले सप्ताह भारत सरकार ने मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर भी आयात शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। जबकि चीनी उद्योग सरकार के इस कदम से उत्साहित है, दूसरी तरफ खाद्य तेल उद्योग में हडकंप मच गया है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा कि, उनका संगठन वाणिज्य मंत्रालय से इस मामले में किसी भी संदेह को दूर करने के लिए उपयुक्त स्पष्टीकरण जारी करने का अनुरोध करेगा। एसईए क्रशिंग और रिफाइनिंग इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है और यह कदम उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है यदि तेल को सीधे आयात किया जाता है, जबकि भारत के पास रिफाइंड पाम तेल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त क्षमता है।
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