यूरोपीय संघ के प्रस्तावित एथेनॉल प्रतिबंध से पूरे देश में चिंता

बेंगलुरु: यूरोपीय रासायनिक एजेंसी (ECHA) द्वारा पाए गए कैंसरकारी खतरे के कारण यूरोपीय संघ एथेनॉल-आधारित उत्पादों पर वास्तविक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, जिससे बेंगलुरु और पूरे देश में कई लोग इस दावे को लेकर चिंतित हो सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि, एथेनॉल के इस्तेमाल से कोई तत्काल खतरा नहीं है। एथेनॉल के आम उपयोग में हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल और अब ईंधन में इसका मिश्रण शामिल है। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सोप्स, डिटर्जेंट एंड मेंटेनेंस प्रोडक्ट्स (एआईएसई) ने खुलासा किया है कि, यह अध्ययन मौखिक सेवन पर आधारित है (मुख्य रूप से मादक पेय पदार्थों के अत्यधिक सेवन के प्रतिकूल प्रभावों पर डेटा)।

आशा हॉस्पिटल्स एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. श्रीनाथ कहते हैं, एथेनॉल के कैंसरकारी होने की चिंताएँ मुख्य रूप से उच्च या लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से उत्पन्न होती हैं। हमें संपर्क के स्तर की समीक्षा करनी चाहिए और किसी भी संवेदनशील समूह की पहचान करनी चाहिए। कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना हाथों की स्वच्छता का सर्वोत्तम मानक है। अल्कोहल-रहित सैनिटाइजर उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता अलग-अलग हो सकती है।

पेट्रोल का मामला ज्यादा जटिल है। डॉ. श्रीनाथ कहते हैं, एथेनॉल-मिश्रित ईंधन के जलने से एसीटैल्डिहाइड और फॉर्मल्डेहाइड का उत्सर्जन बढ़ सकता है, जो दोनों कैंसर से जुड़े हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि, एथेनॉल ईंधन स्वतः ही ज़्यादा हानिकारक हैं। वायु की गुणवत्ता प्रदूषकों के कुल मिश्रण पर निर्भर करती है, और एथेनॉल मिश्रण ईंधन उत्सर्जन के कुछ अन्य विषैले घटकों को कम कर सकते हैं।

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