मदुरै (तमिलनाडु) : किसानों ने अलंगनल्लूर सहकारी चीनी मिल के अंतर्गत पंजीकृत कुल कृषि भूमि में गड़बड़ी की चिंता जताई है। साथ ही यह भी बताया है कि, मिल को फिर से खोलने में देरी का मुख्य कारण निर्धारित मानदंडों को पूरा न कर पाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि, कई निजी मिलें सहकारी कमान क्षेत्रों में कृषि भूमि को अपने नाम पर पंजीकृत कर रही हैं। उन्होंने राज्य सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह किया है। लगातार सूखे के कारण, दशकों पुरानी अलंगनल्लूर चीनी मिल ने 2020 और 2021 के बीच परिचालन बंद कर दिया, और किसानों के कई विरोध प्रदर्शनों के बावजूद बंद रही। हाल ही में, CITU से जुड़े किसानों ने अगस्त के पहले सप्ताह में मिल को फिर से खोलने की मांग करते हुए एक बड़े विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए, कई किसान इस मुद्दे पर सरकार से सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। मिल की स्थिति के बारे में कलेक्टर के.जे. प्रवीण कुमार ने कहा, मिल को संचालन के लिए 1-1.5 लाख टन गन्ने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए लगभग 1,000 हेक्टेयर भूमि को मिल के अंतर्गत पंजीकृत कराना आवश्यक है। लेकिन, जून 2025 तक, केवल 200 एकड़ भूमि ही पंजीकृत हो पाई है। चूँकि अलंगनल्लूर चीनी मिल चालू नहीं है, इसलिए गन्ने को अस्थायी रूप से तंजावुर अरिंगर अन्ना चीनी मिल में भेजा जा रहा है।
तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के सदस्य एन. पलानीसामी ने कहा कि, सहकारी मिल का नियंत्रण क्षेत्र 4,000 हेक्टेयर है।चूँकि मिल में कर्मचारियों की कमी है, इसलिए कृषि भूमि का पंजीकरण ठीक से नहीं किया गया है। साथ ही, निजी मिलों को सहकारी मिल क्षेत्र में कृषि भूमि को अपने नाम पर अवैध रूप से पंजीकृत करने से रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, 2023 में मिल का निरीक्षण करने के बाद एक विशेष समिति ने कहा था कि मिल को फिर से खोलने के लिए 27 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, लेकिन राज्य सरकार अभी भी इस प्रक्रिया में देरी कर रही है। उन्होंने आगे कहा, हालांकि डीएमके ने पिछले चुनाव के दौरान इन मुद्दों पर कार्रवाई करने का वादा किया था, लेकिन अब तक इन पर ध्यान नहीं दिया गया है। मदुरै के गन्ना किसान अय्यनकली ने कहा कि खुले बाजार में कीमतों में गिरावट और निजी कंपनियों द्वारा कम दाम दिए जाने के कारण कई किसानों ने गन्ने की खेती छोड़ दी है।