नई दिल्ली: एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया की, सरकार गन्ने के बजाय मक्का और टूटे हुए अनाज से एथेनॉल उत्पादन को प्राथमिकता देने पर विचार कर रही है। एक अंतर-मंत्रालयी समिति एथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ाने के लिए रोडमैप तैयार करने पर काम कर रही है। अधिकारी ने कहा, खाद्य बनाम ईंधन की बहस के बीच, समिति खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ देश में एथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने के तरीकों पर काम कर रही है। समिति खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का, टूटे हुए चावल, मक्का, गन्ना और मोलासेस जैसे विभिन्न स्रोतों के बीच संतुलन बनाने पर विचार कर रही है।
समिति एथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ाने की योजना बनाने के लिए एक मसौदा रिपोर्ट लेकर आएगी, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा। समिति में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अधिकारी शामिल हैं।केंद्र सरकार का लक्ष्य अक्टूबर 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण हासिल करना है। तेल मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि, भारत ने अप्रैल के दौरान पेट्रोल में 19.7 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण हासिल किया। इस बीच, पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के सरकार के प्रयासों ने देश में खाद्य सुरक्षा पर बहस छेड़ दी है।
सरकार एथेनॉल उत्पादन के विविधीकरण पर जोर दे रही है और गन्ने के एथेनॉल से हटकर मक्का और चावल आधारित एथेनॉल को प्रोत्साहित कर रही है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप, सितंबर 2024 में भारत दशकों में पहली बार मक्का का शुद्ध आयातक बन गया। भारत मुख्य रूप से मक्का निर्यातक रहा है। सरकार ने देश को चीनी की कमी से बचाने के लिए नवंबर 2024 से एथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी मिलों को गन्ने के रस का उपयोग करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, उद्योग के विरोध के कारण आदेश को वापस ले लिया गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2023-24 में भारत की एथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,685 करोड़ लीटर तक पहुंच गई। इसमें से अनाज आधारित एथेनॉल की मात्रा 744 करोड़ लीटर थी, जबकि गन्ना आधारित एथेनॉल की मात्रा 941 करोड़ लीटर थी। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक चलता है।