हरियाणा: अंबाला के किसानों ने कृषि मंत्री से मुलाकात कर गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग की

अंबाला : अंबाला और आसपास के जिलों के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा से मुलाकात की और गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी और डीएपी व यूरिया के पर्याप्त स्टॉक की भी मांग की और अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपे। ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के अनुसार, गन्ना किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष विनोद राणा ने कहा, कीटनाशकों, उर्वरकों, ईंधन और श्रम शुल्क की बढ़ती कीमतों के कारण गन्ने की उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है। सरकार से गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) बढ़ाकर 500 रुपये प्रति क्विंटल करने का अनुरोध किया गया है। बढ़ते खर्चों के कारण किसान दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं और इसका राज्य में गन्ने और चीनी उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने आगे कहा, हमने मंत्री से नारायणगढ़ चीनी मिल, जो वर्तमान में राज्य सरकार की देखरेख में चल रही एक निजी मिल है, को अपने अधीन लेने और उसका संचालन हैफेड के अधीन करने का भी अनुरोध किया है। मंत्री ने हमें आश्वासन दिया है कि, वे जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय लेंगे। प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री को यह भी बताया कि, सरकार द्वारा आवंटित यूरिया और डीएपी अपर्याप्त है क्योंकि वे तीन फसलें (धान, आलू या सरसों और गन्ना या सूरजमुखी) उगाते हैं। वर्तमान में, किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष दो बैग डीएपी और छह बैग यूरिया आवंटित किया जाता है, जिसे बढ़ाकर चार बैग डीएपी और 10 बैग यूरिया किया जाना चाहिए। यहाँ तक कि कृषि विश्वविद्यालय भी उच्च उपज वाली गेहूँ की किस्मों के लिए अधिक मात्रा में उर्वरक की सिफारिश करते हैं।”

किसान नेता विनोद राणा ने आगे कहा कि, पंजाब के निवासी, जिनके पास हरियाणा में भी कृषि भूमि है, उन्हें ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर अपनी फसलों का पंजीकरण कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वे अपनी उपज अनाज मंडियों में नहीं बेच पा रहे हैं। किसान सिंगारा सिंह ने कहा, मैं पंजाब से हूँ, लेकिन अंबाला के समलेहड़ी गाँव में भी मेरी 43 एकड़ जमीन है। पिछले 26 सालों से मैं इस ज़मीन पर खेती कर रहा हूँ। हरियाणा सरकार के निर्देशों के अनुसार, मैं हर साल ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण भी कराता हूँ, लेकिन इस साल मैं अपनी फसल का पंजीकरण नहीं करा पाया हूँ, जिसके कारण मैं अपनी फ़सल बेच नहीं पाऊँगा और न ही फसल के लिए खाद ले पाऊँगा। मैंने मंत्री जी से इस समस्या का समाधान करवाने का अनुरोध किया है।

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